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Bajrang Baan Ka Paath: विशेष कार्य सिद्धि के लिए करते हैं बजरंग बाण का पाठ, जानें इसकी विशेषता

Bajrang Baan Ka Paath धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बजरंग बाण का पाठ मंगलवार शनिवार या फिर हनुमान जयंती के दिन विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए किया जाता है। बजरंग बाण का पाठ हनुमान चालीसा की तरह हर रोज करने की मनाही है।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Tue, 22 Sep 2020 08:45 AM (IST)Updated: Tue, 22 Sep 2020 08:45 AM (IST)
Bajrang Baan Ka Paath: विशेष कार्य सिद्धि के लिए करते हैं बजरंग बाण का पाठ, जानें इसकी विशेषता
बजरंग बाण का पाठ करने की विधि जाननी चाहिए।

Bajrang Baan Ka Paath: आज मंगलवार का दिन राम भक्त हनुमान की पूजा के लिए समर्पित होता है। आज के दिन हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, रामचरितमानस का पाठ करना मंगलकारी होता है। आज के दिन बजरंग बाण का भी पाठ किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बजरंग बाण का पाठ मंगलवार, शनिवार या फिर हनुमान जयंती के दिन विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए किया जाता है। बजरंग बाण का पाठ हनुमान चालीसा की तरह हर रोज करने की मनाही है क्योंकि इसका उद्देश्य किसी विशेष कार्य की सिद्धि के लिए ही किया जाता है।

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बजरंग बाण का पाठ करने से व्यक्ति को भय, भयंकर रोग या कष्ट से मुक्ति तथा घोर विपत्ति से बाहर निकलने में सफलता प्राप्त हो सकती है। बजरंग बाण का पाठ शुद्ध उच्चारण के साथ करना होता है। इस पाठ को एक बार में ही करने का विधान है। जब भी आप पूजा करने बैठें तो हनुमान जी को ध्यान करके उनको पुष्प, गंध, धूप, अक्षत्, रोली आदि अर्पित करें। उसे बाद बजरंग बाण का पाठ आरंभ करें। निश्चय प्रेम प्रतीति से लेकर सिद्ध करैं हनुमान तक का पाठ एक बार में पूर्ण करें।

बजरंग बाण

दोहा

निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान।

तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥

चौपाई

जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी।

जनके काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै।

जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा।

आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका।

जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा।

बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। अति आतुर यमकातर तोरा।

अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा।

लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर मह भई।

अब बिलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामी।

जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होइ दुख करहु निपाता।

जय गिरिधर जय जय सुखसागर। सुर-समूह-समरथ भट-नागर।

ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहि मारु बज्र की कीले।

गदा बज्र लै बैरिहि मारो। महारज प्रभु दास उबारो।

ओंकार हुंकार महाबीर धावो। वज्र गदा हनु बिलम्ब न लावो।

ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा।

सत्य होहु हरि शपथ पायके। राम दूत धरु मारु जायके।

जय जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधा।

पूजा जप त​प नेम अचारा। नहिं जानत हौं दा तुम्हारा।

वन उपवन मग ​गिरिगृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।

पांय परौं कर जोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।

जय अंजनि कुमार बलवंता। शंकर सुवन वीर हनुमंता।

बदन कराल काल कुल घालक। राम सहाय सदा प्रति पालक।

भूत प्रेत पिशाच निशाचर, अग्नि बैताल काल मारीमर।

इन्हें मारु तोहिं सपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की।

जनक सुता हरिदास कहावो। ताकी सपथ विलंब न लावो।

जय जय जय धुनि होत अकाशा। सुमिरत होत दुसह दुख नाशा।

चरण-शरण कर जोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।

उठु-उठु चलु तोहिं राम दोहाई। पांय परौं कर जोरि मनाई।

ओम चं चं चं चं चपल चलंता। ओम हनु हनु हनु हनु हनुमंता।

ओम हं हं हांक देत कपि चंचल। ओम सं सं सहमि पराने खल दल।

अपने जन को तुरत उबारो। सुमिरत होत आनंद हमारो।

यहि बजरंग बाण जेहि मारे। ताहि कहो फिर कौन उबारे।

पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करैं प्राण की।

यह बजरंग बाण जो जापै। तेहि ते भूत प्रेत सब कांपै।

धूप देय अरु जपै हमेशा। ताके तनु नहिं रहे कलेशा।

दोहा

प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै, सदा धरै उर ध्यान।

तेहि के कारज शकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान।।

डिस्क्लेमर-

''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है. विभिन्स माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं. हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें. इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी. ''


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