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Pradosh Vrat 2022: कब है साल का पहला प्रदोष व्रत, जानें-पूजा की तिथि और विधि

Pradosh Vrat 2022 शास्त्रों और पुराणों में निहित है कि शनिवार का प्रदोष व्रत करने से संतान की प्राप्ति होती है। संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले लोगों को शनि प्रदोष व्रत अवश्य करना चाहिए। इससे जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है।

By Umanath SinghEdited By: Published: Wed, 05 Jan 2022 02:17 PM (IST)Updated: Wed, 05 Jan 2022 04:07 PM (IST)
Pradosh Vrat 2022: कब है साल का पहला प्रदोष व्रत, जानें-पूजा की तिथि और विधि
Pradosh Vrat 2022: कब है साल का पहला प्रदोष व्रत, जानें-पूजा की तिथि और विधि

Pradosh Vrat 2022: हिंदी पंचांग के अनुसार, हर माह में कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत मनाया जाता है। इस प्रकार पौष माह में शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी का प्रदोष व्रत शनिवार 15 जनवरी को है। इस दिन भगवान भोलेनाथ और माता-पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। सप्ताह के सातों दिनों को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को नाम से पुकारा जाता है। साल का आखिरी प्रदोष व्रत शनिवार को पड़ रहा है। अत: यह शनि प्रदोष व्रत कहलाएगा। शास्त्रों और पुराणों में निहित है कि शनिवार का प्रदोष व्रत करने से संतान की प्राप्ति होती है। संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले लोगों को शनि प्रदोष व्रत अवश्य करना चाहिए। इससे जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है। अतः व्यक्ति विशेष को भगवान शिव और माता पार्वती की श्रद्धा पूर्वक भक्ति करनी चाहिए। आइए, व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत महत्व जानते हैं-

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प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त

पौष, शुक्ल त्रयोदशी शनिवार 15 जनवरी, 2022 को है। त्रयोदशी तिथि 14 जनवरी को रात्रि में 10 बजकर19 मिनट पर शुरु होकर 16 जनवरी को दोपहर में 12 बजकर 57 मिनट पर समाप्त होगी। इस दौरान व्रती भगवान शिव जी एवं माता पार्वती की पूजा-उपासना कर सकते हैं।

प्रदोष व्रत पूजा विधि

इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शिव जी का स्मरण कर दिन की शुरुआत करें। इसके पश्चात नित्य कर्मों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अब आमचन कर अपने आप को शुद्ध करें। इसके बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें। अब सबसे पहले भगवान सूर्य को जल का अर्घ्य दें। तत्पश्चात, भगवान शिव जी एवं माता पार्वती की पूजा शिव चालीसा का पाठ, मंत्रों का जाप कर फल, फूल, धूप, दीप, अक्षत, भांग, धतूरा, दूध,दही और पंचामृत से करें। अंत में आरती अर्चना कर भगवान शिव और माता पार्वती से अन्न, जल और धन की कामना करें। दिनभर उपवास रखें। शाम में आरती अर्चना करें। फिर फलाहार करें। अगले दिन पूजा-पाठ संपन्न कर व्रत खोलें।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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