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Magh Amavasya 2022: कल है मौनी अमावस्या, जानें, पूजा की तिथि और विधि

Magh Amavasya 2022 अमावस्या दिन के अनुसार निर्धारित होती है। सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या और शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या को शनि अमावस्या कहते हैं। वहीं माघ अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Published: Tue, 25 Jan 2022 12:10 PM (IST)Updated: Mon, 31 Jan 2022 04:00 AM (IST)
Magh Amavasya 2022: कल है मौनी अमावस्या, जानें, पूजा की तिथि और विधि
Magh Amavasya 2022: कल है मौनी अमावस्या, जानें, पूजा की तिथि और विधि

Magh Amavasya 2022: हिंदी पंचांग के अनुसार, हर महीने में कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन अमावस्या और शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन पूर्णिमा पड़ती है। इस प्रकार, मंगलवार 1 फरवरी को माघ अमावस्या है। अमावस्या दिन के अनुसार निर्धारित होती है। सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या और शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या को शनि अमावस्या कहते हैं। वहीं, माघ अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस दिन पवित्र नदियों और सरोवरों में श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं। इसके बाद पूजा, जप, तप, और दान करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन प्रवाहित जलधारा में तिलांजलि करना पुण्यकारी होता है। बड़ी संख्या में श्रधालु गंगा समेत कई अन्य नदियों में मौनी अमावस्या के दिन आस्था की डुबकी लगाते हैं। आइए, मौनी अमावस्या की पूजा तिथि और विधि जानते हैं-

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मौनी अमावस्या पूजा तिथि

मौनी अमावस्या मंगलवार, 1 फरवरी, 2022 को है। माघ अमावस्या तिथि 31 जनवरी को दोपहर में 2 बजकर 20 मिनट से शुरू होकर 1 फरवरी को दिन में 11 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी। अत: 1 फरवरी को सुबह में स्नान-ध्यान और पूजा कर लें। हालांकि, चौघड़िया मुहूर्त में भी पूजा पाठ कर सकते हैं। शास्त्रों में दोपहर 2 बजे तक अमावस्या पूजा का विधान है।

अमावस्या पूजा विधि

इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ-सफाई करें। इसके बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान करें। अगर संभव है, तो समीप के नदी में स्नान-ध्यान कर सकते हैं। नदी या सरोवर में ही अंजलि से सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। इसके पश्चात, जलधारा में तिल प्रवाहित करें। साधक तिलांजिल भी कर सकते हैं। अब भगवान श्रीहरि विष्णुजी की पूजा फल, फूल, धूप, दीप, अगरबत्ती आदि चीजों से करें। इस दिन पितरों की भी पूजा करने का विधान है। इससे पितृ प्रसन्न होकर व्यक्ति को सुख और समृद्धि प्राप्ति का वरदान देते हैं। वे लोग जिनके पूर्वजों का पिंड दान नहीं हुआ है, वे इस दिन अपने पितरों को तर्पण करते हैं। पूजा-पाठ के बाद गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद भोजन ग्रहण करें। साथ माघ अमावस्या के दिन जथा शक्ति तथा भक्ति के भाव से दान जरूर करें।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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