Shraddha Karma 2020: क्या है श्राद्ध का विधान, किस तारीख को है कौन-सा श्राद्ध
Shraddha Karma 2020 हिंदू-शास्त्रों के अनुसार मृत्यु होने पर मनुष्य की जीवात्मा चंद्रलोक की तरफ जाती है और ऊंची उठकर पितृ लोक में पहुंचती है।
Shraddha Karma 2020: हिंदू-शास्त्रों के अनुसार मृत्यु होने पर मनुष्य की जीवात्मा चंद्रलोक की तरफ जाती है और ऊंची उठकर पितृ लोक में पहुंचती है। इन मृतात्माओं को अपने नियत स्थान तक पहुंचने की शक्ति प्रदान करने के लिए पिंडदान और श्राद्ध का विधान है।
कब कौन-सा है श्राद्ध:
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि 2 सितंबर- पूर्णिमा श्राद्ध , 3 सितंबर- प्रतिपदा, 4 सितंबर- द्वितीया, 5 सितंबर- तृतीया, 6 सितंबर- चतुर्थी, 7 सितंबर- पंचमी, महा भरणी, 8 सितंबर- षष्ठी, 9 सितंबर - सप्तमी, 10 सितंबर - अष्टमी, 11 सितंबर - नवमी, 12 सितंबर - दशमी, 13 सितंबर – एकादशी - द्वादशी, 14 सितंबर - त्रयोदशी, 15 सितंबर चतुर्दशी, मघा श्राद्ध, 16 सितंबर - सर्वपित्र अमावस्या, 17 सितंबर मातमाह श्राद्ध
कैसे करें श्राद्ध:
पितृपक्ष में हर दिन तर्पण करना चाहिए। पानी में दूध, जौ, चावल और गंगाजल डालकर तर्पण किया जाता है। इस दौरान पिंड दान करना चाहिए। श्राद्ध कर्म में पके हुए चावल, दूध और तिल को मिलकर पिंड बनाए जाते हैं। पिंड को शरीर का प्रतीक माना जाता है। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य, विशेष पूजा-पाठ और अनुष्ठान नहीं करना चाहिए। हालांकि देवताओं की नित्य पूजा को बंद नहीं करना चाहिए। श्राद्ध के दौरान पान खाने, तेल लगाने और संभोग की मनाही है। इस दौरान रंगीन फूलों का इस्तेमाल भी वर्जित है। पितृ पक्ष में चना, मसूर, बैंगन, हींग, शलजम, मांस, लहसुन, प्याज और काला नमक भी नहीं खाया जाता है। इस दौरान कई लोग नए वस्त्र, नया भवन, गहने या अन्य कीमती सामान नहीं खरीदते हैं।
श्राद्ध पक्ष के बाद नवरात्र शुरू हो जाते हैं। पहले नवरात्रे के साथ ही शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं। वाहनों की खरीद, मुहूर्त आदि पर लगी पन्द्रह दिन की पाबंदी की मियाद नवरात्र से खत्म हो जाती है। नवरात्र अष्टमी और नवमी को पूर्ण होते हैं। विजयदशमी पर रावण दहन और फिर बीस दिन बाद दीपोत्सव का पांच दिन का सेलिब्रेशन होता है।