Weekly Vrat Evam Tyohar: आज से अधिकमास की शुरुआत, जानें कब है विनायक चतुर्थी
Weekly Vrat Evam Tyohar आज से अधिकमास का प्रारंभ हो गया है। इसे अधिकमास भी कहते हैं। आइए जानते हैं इस सप्ताह के अन्य व्रत एवं त्योहारों के बारे में।
Weekly Vrat Evam Tyohar: अंग्रेजी कैलेंडर के नौवे माह सितंबर का तीसरा सप्ताह चल रहा है। आज 18 सितंबर दिन शुक्रवार है। आज के दिन से अधिकमास शुरु हो गया है। इस सप्ताह में कन्या संक्रांति, अधिक मास या मलमास या पुरुषोत्तम मास और विनायक चतुर्थी जैसे व्रत एवं त्योहार आने वाले हैं। आइए जानते हैं कि ये महत्वपूर्ण व्रत एवं त्योहार किस तारीख को हैं।
इस सप्ताह के व्रत एवं त्योहार
18 सितंबर, दिन: शुक्रवार: अधिक मास या मलमास या पुरुषोत्तम मास और कन्या संक्रांति।
अधिक मास या मलमास या पुरुषोत्तम मास 2020: 18 सितंबर से अधिक मास या मलमास या पुरुषोत्तम मास का प्रारंभ हो रहा है। यह तीन वर्ष में एक बार आता है। अधिकमास के देव स्वामी भगवान विष्णु हैं, इसलिए इसे पुरूषोत्तम मास भी कहते हैं।
कन्या संक्रांति 2020: इस वर्ष 18 सितंबर को सूर्य देव कन्या राशि में प्रवेश करेंगे, जिससे कन्या संक्रांति का प्रारंभ हो जाएगा।
20 सितंबर, दिन: रविवार: विनायक चतुर्थी।
प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी विनायक चतुर्थी के नाम से जानी जाती है। इस माह की विनायक चतुर्थी 20 सितंबर को पड़ रही है। इस दिन विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की विधि विधान से पूजा की जाती है।
जो बीत गया
15 सितंबर, दिन: मंगलवार: भौम प्रदोष व्रत।
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत 15 सितंबर को है। मंगलवार दिन होने के कारण यह भौम प्रदोष व्रत है। प्रदोष काल में भगवान शिव की आराधना करना मंगलकारी रहेगा।
15 सितंबर, दिन:मंगलवार: मघा श्राद्ध।
त्रयोदशी तिथि को होने वाले श्राद्ध को मघा श्राद्ध कहते हैं, जो मघा एवं त्रयोदशी के योग में आता है। इस बार यह 15 सितंबर दिन मंगलवार को है।
16 सितंबर, दिन: बुधवार: विश्वकर्मा पूजा, सर्व पितृ अमावस्या।
विश्वकर्मा पूजा 2020: इस वर्ष विश्वकर्मा पूजा 16 सितंबर दिन बुधवार को है। इस दिन सृजन के देवता और देवताओं के शिल्पी भगवान विश्वकर्मा की विधि विधान से पूजा की जाती है।
17 सितंबर, दिन: गुरुवार: सर्व पितृ अमावस्या।
सर्व पितृ अमावस्या 2020: इस वर्ष आश्विन मास की अमावस्या 17 सितंबर को है। इसे सर्व पितृ अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है, जिनके निधन की तिथि ज्ञात नहीं होती है। सर्व पितृ अमावस्या के दिन ही पितृ पक्ष का समापन होता है।