Vrishabha Sankranti 2020: आज है 'वृषभ संक्रांति', जानें-इसके धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व
Vrishabha Sankranti 2020 इस महीने में सूर्य देव वृषभ राशि के साथ-साथ नौ दिनों के लिए रोहिणी नक्षत्र में आते हैं जिसके चलते नौ दिनों तक प्रचंड गर्मी पड़ती है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Vrishabha Sankranti 2020: हिंदी पंचांग के अनुसार 14 मई को वृषभ संक्रांति है। इस दिन खगोलीय परिवर्तन होता है। इस परिवर्तन में सूर्य मेष राशि से निकलकर वृषभ राशि में प्रवेश करता है। इसलिए इसे वृषभ संक्रांति कहा जाता है। इस संक्रांति का भी मकर संक्रांति के समतुल्य महत्व है। अतः वृषभ संक्रांति के दिन पूजा, जप, तप और दान अवश्य करना चाहिए। धार्मिक ग्रंथों में लिखा है कि संक्रांति के दिन नदियों और सरोवरों में नहाने से तीर्थस्थलों के समतुल्य पुण्यफल की प्राप्ति होती है। हालांकि, लॉकडाउन के चलते लोग इस साल नदियों और सरोवरों में स्नान-ध्यान नहीं कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में आप नहाने के पानी में थोड़ा गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
वृषभ संक्रांति क्या है
सूर्य देव साल के बारह महीनों में एक राशि से दूसरी राशि में भ्रमण करते रहते हैं। जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो उसे संक्रांति कहते हैं। वहीं, जब सूर्य मेष राशि से निकलकर वृषभ राशि में प्रवेश करता है तो इसे वृषभ संक्रांति कहा जाता है। इस बदलाव से ग्रह-नक्षत्र, राशि और मौसम में आंशिक और व्यापक बदलाव देखने को मिलते हैं।
वृषभ संक्रांति का महत्व
इस महीने में सूर्य देव वृषभ राशि के साथ-साथ नौ दिनों के लिए रोहिणी नक्षत्र में आते हैं, जिसके चलते नौ दिनों तक प्रचंड गर्मी पड़ती है। ऐसा कहा जाता है कि ज्येष्ठ माह की दोपहर में साल की सबसे अधिक गर्मी पड़ती है। इन नौ दिनों के सूर्य परिक्रमा को 'नवतपा' कहा जाता है। ऐसे में इस महीने में जल का विशेष महत्व है। इस दिन पूजा, जप, तप और दान करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है। इस महीने में प्यासे को पानी पिलाने अथवा घर के बाहर प्याऊ लगाने से व्यक्ति को यज्ञ कराने के समतुल्य पुण्यफल मिलता है। इस दिन "ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का एक मनके जाप जरूर करना चाहिए।