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Skanda Sashti Vrat 2022: आज है स्कन्द षष्ठी, जानें-पूजा तिथि और विधि

Skanda Sashti Vrat 2022 नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है जो देवों के सेनापति कार्तिकेय की माता हैं। अतः स्कन्द देव की पूजा करने से स्कंदमाता भी प्रसन्न होती है और व्रती के सभी मनोरथ सिद्ध करती हैं।

By Umanath SinghEdited By: Published: Fri, 07 Jan 2022 09:10 AM (IST)Updated: Fri, 07 Jan 2022 12:19 PM (IST)
Skanda Sashti Vrat 2022: आज है स्कन्द षष्ठी, जानें-पूजा तिथि और विधि
Skanda Sashti Vrat 2022: आज है स्कन्द षष्ठी, जानें-पूजा तिथि और विधि

Skanda Sashti Vrat 2022: हर महीने शुक्ल पक्ष की षष्ठी को स्कन्द षष्ठी मनाई जाती है। इस प्रकार पौष माह में 7 जनवरी यानी आज स्कन्द षष्ठी है। इस दिन भगवान शिव एवं माता पार्वती के अग्रज पुत्र देवों के सेनापति भगवान कार्तिकेय की पूजा-उपासना की जाती है। भगवान कार्तिकेय को स्कंद देव, महासेन, पार्वतीनन्दन, षडानन, मुरुगन, सुब्रह्मन्य आदि कई नामों से जाना जाता है। दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन दक्षिण भारत सहित श्रीलंका में उत्स्व जैसा माहौल रहता है। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत करने वाले व्यक्ति को दीर्घायु और प्रतापी संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन से दुःख और दरिद्रता दूर हो जाती है। आइए, स्कंद षष्ठी के बारे में सबकुछ जानते हैं-

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स्कन्द षष्ठी का महत्व

नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है, जो देवों के सेनापति कार्तिकेय की माता हैं। अतः स्कन्द देव की पूजा करने से स्कंदमाता भी प्रसन्न होती है और व्रती के सभी मनोरथ सिद्ध करती हैं। इस दिन दक्षिण भारत में विशेष पूजा-उपासना की जाती है, जिसमें भगवान कार्तिकेय का आह्वान किया जाता है। स्कन्द षष्ठी कार्तिक महीने की षष्ठी को विशेष रूप से मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन कार्तिकेय का जन्म हुआ है।

स्कन्द षष्ठी शुभ मुहूर्त

हिंदी पंचांग के अनुसार, स्कंद षष्ठी 7 जनवरी को 11 बजकर 10 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 8 जनवरी को 10 बजकर 42 मिनट पर समाप्त होगी। व्रती आज किसी समय भगवान कार्तिकेय देव की पूजा उपासना कर सकते हैं।

स्कन्द षष्ठी पूजा विधि

इस दिन गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान कर सर्वप्रथम व्रत संकल्प लें। अब पूजा गृह में मां गौरी और शिव जी के साथ भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा पूजा चौकी पर स्थापित करें। इसके बाद देवों के देव महादेव, माता पार्वती और कार्तिकेय की पूजा जल, मौसमी फल, फूल, मेवा, कलावा, दीपक, अक्षत, हल्दी, चंदन, दूध, गाय का घी, इत्र आदि से करें। अंत में आरती आराधना करें। आप चाहे तो इस दिन उपासना भी कर सकते हैं। शाम में कीर्तन-भजन और आरती करें। इसके पश्चात फलाहार करें।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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