March Vrat Evam Tyohar 2020: आज गुरुवार को है पापमोचिनी एकादशी, जानें कब है शनि प्रदोष व्रत
March Vrat Evam Tyohar 2020 आज चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है इसे पापमोचनी एकादशी कहा जाता है।
March Vrat Evam Tyohar 2020: वर्ष 2020 के मार्च माह का तीसरा सप्ताह प्रारंभ हो गया है, वहीं हिन्दू कैलेंडर के चैत्र मास का कृष्ण पक्ष चल रहा है। आज चैत्र कृष्ण अष्टमी है। इस सप्ताह में महत्वपूर्ण व्रत एवं त्योहार आने वाले हैं, जिसमें शीतला अष्टमी या बसोड़ा, पापमोचिनी एकादशी व्रत, शनि प्रदोष व्रत, रामदास जयंती और स्नान दान श्राद्धादि की अमावस्या शामिल है। आज शीतला अष्टमी या बसोड़ा है।
आइए जानते हैं कि इस सप्ताह आने वाले व्रत किस दिन और किस तारीख को पड़ेंगे-
16 मार्च: दिन: सोमवार: शीतला अष्टमी या बसोड़ा।
शीतला अष्टमी या बसोड़ा: यह व्रत चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ता है, जो आज है। इस दिन शीतला देवी की पूजा की जाती है। पूजा के लिए शीतलाष्टमी के एक दिन पूर्व ही खाना बनाते हैं। वही बासी खाना अष्टमी के दिन मां शीतला को अर्पित किया जाता है। बासी खाने को बसौड़ा कहते हैं। बासी खाने को प्रसाद स्वरुप ग्रहण किया जाता है।
17 मार्च: दिन: मंगलवार: रामदास जयंती।
रामदास जयंती: सिखों के चौथै गुरु श्री रामदास जी की जयंती 17 मार्च दिन मंगलवार को है। गुरु रामदास जी ने मनुष्य को अच्छे गुणों को अपने अंदर समाहित करने की प्रेरणा दी है। उन्होंने ही अमृतसर नगर की स्थापना की थी।
19 मार्च: दिन: गुरुवार: पापमोचनी एकादशी व्रत।
पापमोचनी एकादशी व्रत: चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसके नाम से ही ज्ञात है कि यह समस्त पापों को नष्ट करने वाली है। इस बार पापमोचनी एकादशी 19 मार्च दिन गुरुवार को है। पापमोचनी एकादशी व्रत में भगवान विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप की पूजा होती है।
21 मार्च: दिन: शनिवार: शनि प्रदोष व्रत। मधुश्रवा त्रयोदशी।
शनि प्रदोष व्रत: चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत होता है। इस बार यह शनिवार 21 मार्च को है, इसलिए यह शनि प्रदोष व्रत है। इस दिन शाम के समय भगवान शिव की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है।
23 मार्च: दिन: सोमवार: शब-ए-मेराज।
शब-ए-मेराज: यह एक इस्लामी त्योहार है, जो इस वर्ष 23 मार्च 2020 को है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन ही पैगंबर मोहम्मद साहब की स्वर्ग में अल्लाहताला से मुलाकात हुई थी।