सिद्धि व अदभुत फलदायक हैं शिव के ये मंत्र विलक्षण
सोमवार को शिवलिंग की पूजा अर्चना के बाद रुद्राक्ष माला से इन शिव के चमत्कारी मंत्रों का जप करना विलक्षण सिद्धि व मनचाहे लाभ देने वाला होता है-
सोमवार को शिवलिंग की पूजा अर्चना के बाद कुश के आसन पर विराजमान होकर रुद्राक्ष माला से इन शिव के चमत्कारी मंत्रों का जप करना विलक्षण सिद्धि व मनचाहे लाभ देने वाला होता है-
शिवजी के कुछ नामो से जुड़े मंत्र
ॐ अघोराय नम:, ॐ शर्वाय नम:, ॐ विरूपाक्षाय नम:, ॐ विश्वरूपिणे नम:, ॐ त्र्यम्बकाय नम:, ॐ कपर्दिने नम:, ॐ भैरवाय नम:, ॐ शूलपाणये नम:, ॐ ईशानाय नम:, ॐ महेश्वराय नम:
यह है आशुतोष भगवान शिव को प्रसन्न करने के अत्यंत सरल और अचूक मंत्र। इन मंत्रों का प्रतिदिन रुद्राक्ष की माला से जप करना चाहिए। जप पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए। जप के पूर्व शिवजी को बिल्व पत्र अर्पित करना या उनके ऊपर जलधारा लगाना चाहिए। भगवान शंकर का पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय ही अमोघ एवं मोक्षदायी है, किंतु विषम काल में यदि भक्त पर कोई कठिन व्याधि या समस्या आन पड़े तब श्रद्धापूर्वक ‘ॐ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नमः ॐ’ के मंत्र का एक लाख जप करना चाहिए। यह बड़ी से बड़ी समस्या और विघ्न को टाल देता है।
ॐ ऊर्ध्व भू फट् । ॐ नमः शिवाय । ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय । ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा । ॐ इं क्षं मं औं अं । ॐ प्रौं ह्रीं ठः । ॐ नमो नीलकण्ठाय । ॐ पार्वतीपतये नमः । ॐ पशुपतये नम:
इसके अलावा काल पर विजय प्राप्त करने वाला महामृत्युञ्जय मंत्र भी सर्वोतम है |
भगवान शंकर का सर्वाधिक प्रभावी एवं सरल मंत्र
पंचाक्षर-नम: शिवाय
शिवपुराणके अनुसार, भगवान शंकर का सर्वाधिक प्रभावी एवं सरल मंत्र पंचाक्षर-नम: शिवाय है। यह पंचाक्षरमंत्र समाज के सभी वर्गो के लोगों के लिए समान रूप से फलदायीहै। इसलिए कोई भी स्त्री या पुरुष इस पंचाक्षर मंत्र को नित्य भक्तिपूर्वक जप सकता है। इस मंत्र के पांच अक्षरों में पंचानन (पांच मुख वाले) महादेव की सभी शक्तियां सन्निहित हैं।
पंचाक्षर मंत्र-नम: शिवायके जप में कोई जटिलता नहीं है। इससे पंचतत्वों से निर्मित मानव देह की शुद्धि होती है तथा बडे से बडे संकटका निवारण बडी सरलता से हो जाता है।जगद्गुरु आदि शंकराचार्य ने पंचाक्षर मंत्र के प्रत्येक अक्षर की महिमा का प्रतिपादन करने के लिए श्रीशिव पंचाक्षर स्तोत्र बनाया था। इसका संत जन बडे आदर से पाठ करते हैं। आशुतोष महादेव परम दयालु और बहुत जल्दी खुश होने वाले हैं। इनकी उपासना करने से सारे कष्ट दूर होते हैं और भक्त निर्भय हो जाता है।
शिव पंचाक्षर स्त्रोत
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांगरागाय महेश्वराय|
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे"न" काराय नमः शिवायः॥
हे महेश्वर! आप नागराज को हार स्वरूप धारण करने वाले हैं। हे (तीननेत्रों वाले) त्रिलोचन आप भष्म से अलंकृत, नित्य (अनादि एवं अनंत) एवं शुद्ध हैं। अम्बर को वस्त्र सामान धारण करने वाले दिग्म्बर शिव, आपके न् अक्षर द्वारा जाने वाले स्वरूप को नमस्कार ।
मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय|
मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे "म" काराय नमः शिवायः॥
चन्दन से अलंकृत, एवं गंगा की धारा द्वारा शोभायमान नन्दीश्वर एवं प्रमथनाथ के स्वामी महेश्वर आप सदामन्दार पर्वत एवं बहुदा अन्य स्रोतों से प्राप्त्य पुष्पों द्वारा पुजित हैं। हे म् स्वरूप धारी शिव, आपको नमन है।
शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय |
श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै"शि" काराय नमः शिवायः॥
हे धर्म ध्वज धारी, नीलकण्ठ, शि अक्षर द्वारा जाने जाने वाले महाप्रभु, आपने ही दक्ष के दम्भ यज्ञ का विनाश किया था। माँ गौरी केकमल मुख को सूर्य सामान तेज प्रदान करने वाले शिव, आपको नमस्कार है।
वषिष्ठ कुभोदव गौतमाय मुनींद्र देवार्चित शेखराय|
चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय तस्मै"व" काराय नमः शिवायः॥
देवगणो एवं वषिष्ठ, अगस्त्य, गौतम आदि मुनियों द्वार पुजित देवाधिदेव! सूर्य, चन्द्रमा एवं अग्नि आपके तीन नेत्र सामन हैं। हे शिव आपके व् अक्षर द्वारा विदित स्वरूप कोअ नमस्कार है।
यज्ञस्वरूपाय जटाधराय पिनाकस्ताय सनातनाय|
दिव्याय देवाय दिगंबराय तस्मै "य" काराय नमः शिवायः॥
हे यज्ञस्वरूप, जटाधारी शिव आप आदि, मध्य एवं अंत रहित सनातन हैं। हे दिव्य अम्बर धारी शिव आपके शि अक्षर द्वारा जाने जाने वाले स्वरूप को नमस्कारा है।
पंचाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेत शिव सन्निधौ|
शिवलोकं वाप्नोति शिवेन सह मोदते॥
जो कोई शिव के इस पंचाक्षर मंत्र कानित्य ध्यान करता है वह शिव के पुुण्य लोक को प्राप्त करता है तथा शिव के साथ सुख पुर्वक निवास करता है।