Move to Jagran APP

इस अंग में विराजते हैं भगवान

निराकार ईश्वर जिसे हमें भगवान, अल्लाह, जीजस और न जानें कितने नामों से जानते हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 27 Apr 2015 05:02 PM (IST)Updated: Mon, 27 Apr 2015 05:04 PM (IST)
इस अंग में विराजते हैं भगवान

निराकार ईश्वर जिसे हमें भगवान, अल्लाह, जीजस और न जानें कितने नामों से जानते हैं। हम रोज ईश्वर के दर पर अपनी परेशानियों को लेकर जाते हैं और बदले में शांति और एक उम्मीद लेकर वापस आते हैं।

loksabha election banner

लेकिन यही ईश्वर हमारे ह्दय और मन में वास करता है। यानी हर व्यक्ति में भगवान है। इस बात को अलग-अलग दौर मे हर धर्म के अलग संत-महात्माओं ने कही है।

हनुमानजी उपस्थित रहते हैं यहां

हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों का मत है कि कलियुग में हनुमानजी का निवास गन्धमादन पर्वत (वर्तमान में रामेश्वरम धाम के नजदीक) पर है। कलियुग में जहां-जहां हनुमान के आराध्य देव श्रीराम का ध्यान और स्मरण होता है, बजरंगबली हमेशा अदृश्य रूप में उपस्थित रहते हैं।

ठीक इसी तरह द्वापर युग में हनुमानजी नर और नारायण रूप भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के साथ धर्मयुद्ध में रथ की ध्वजा में उपस्थित रहे। यह प्रतीकात्मक रूप में संकेत है कि हनुमानजी इस युग में भी धर्म की रक्षा के लिए मौजूद थे।

गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखित हनुमान चालीसा में लिखा है, 'चारों जुग परताप तुम्हारा है परसिद्ध जगत उजियारा।' यानी हनुमानजी ऐसे देवता है, जो हर युग में किसी न किसी रूप, शक्ति और गुणों के साथ जगत के लिए संकटमोचक बनकर मौजूद रहते हैं।

वाल्मीकि रामायण में उल्लेख मिलता है कि, जब भगवान श्रीराम से सीताजी का हरण कर रावण उन्हें लंका ले गया तब माता सीता की खोज करते हुए प्रभु राम रामेश्वर पहुंचे। उन्होंने समुद्र तट पर ध्यानमग्र कन्या को देखा।

उस कन्या ने भगवान श्रीराम से उसे पत्नी के रुप में स्वीकार करने को कहा। भगवान श्रीराम ने उस कन्या से कहा, 'मैनें इस जन्म में सीता से विवाह कर एक पत्नी व्रत का प्रण लिया है। लेकिन कलियुग में मैं कल्कि अवतार लूंगा और तुम्हें अपनी पत्नी रुप में स्वीकार करुंगा।'

उस समय तक तुम हिमालय स्थित त्रिकूट पर्वत में जाकर तप करो और भक्तों के कष्ट और दु:खों का नाश कर जगत कल्याण करती रहो। यह कन्या और कोई नहीं मां वैष्णों ही हैं जो कलयुग में साक्षात् त्रिकूट पर्वत यानी वैष्णो देवी धाम में विराजी हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.