सावन मे किये गए इन उपायों से शिव अति प्रसन्न होते हैं, पर ये बिल्कुल ना करें
सावन शिव का मास है सावन में किये गए इन उपायों से शिव अति प्रसन्न होते हैं । व्यक्ति की कुंडली के सभी ग्रह दोष दूर हो जाते हैं। उसका बुरे से बुरा समय भी टल जाता है।
सावन शिव का मास है सावन में किये गए इन उपायों से शिव अति प्रसन्न होते हैं । महालक्ष्मी की कृपा पाने, धन समृद्धि प्राप्त करने के लिए एक बहुत प्राचीन उपाय बताया गया है, वह है रोज रात में शिवलिंग के पास दीपक लगाना। रात के समय जब घोर अंधेरा रहता है, तब शिवलिंग के निकट दीपक का प्रकाश करने से महादेव अतिप्रसन्न होते हैं। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति रोज रात में किसी सिद्ध शिव मंदिर जाकर वहां शिवलिंग के पास दीपक जलाता है, उसे सभी देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है और उसके जीवन में किसी भी चीज़ की कमी नहीं रहती है। इस उपाय को नियम से करने पर व्यक्ति की कुंडली के सभी ग्रह दोष दूर हो जाते हैं। उसका बुरे से बुरा समय भी टल जाता है।
इस उपाय के संबंध में शास्त्रों में एक कथा बताई गई है।
शास्त्रों के अनुसार प्राचीन काल में देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर देव अपने पिछले जन्म में चोर थे। वे एक रात भगवान शिव के मंदिर में चोरी करने पहुंच गए। रात की वजह से वहां काफी अंधेरा था। अंधेरे में उन्हें कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। तब उन्होंने चोरी करने के लिए एक दीपक जलाया। दीपक के प्रकाश में वह मंदिर का सामान की चोरी कर ही रहे थे कि हवा से दीपक बुझ गया। उन्होंने पुन: दीपक जलाया लेकिन वह फिर हवा से बुझ गया, यह प्रक्रिया कई बार हुई। रात के समय बार-बार दीपक जलाने से भगवान शंकर उनसे अति प्रसन्न हो गए। कुबेर देव ने चोरी करते समय बार-बार दीपक जलाकर अनजाने में ही जो शिवजी की पूजा की थी, इसके फलस्वरूप भगवान भोलेनाथ ने उन्हें अगले जन्म में देवताओं का कोषाध्यक्ष बना दिया। इसीलिए शास्त्रों के अनुसार जो भी व्यक्ति रात के समय शिव मंदिर में शिवलिंग के निकट प्रकाश करता है, उसे प्रभु शंकर की विशेष कृपा प्राप्त हो जाती है।इसलिए सभी मनुष्यों को जीवन में सभी तरह के संकटों के निवारण के लिए शिवलिंग के निकट रात्रि में शुद्द घी का दीपक जलाना चाहिए। सावन भर सभी शिव भक्तों को भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बेलपत्र और शमी पत्र अवश्य ही चढ़ाने चाहिए । इस संबंध में एक पौराणिक कथा है एक बार 88 हजार ऋषियों ने परम पिता ब्रह्मा से भगवान महादेव को प्रसन्न करने की विधि पूछी तब प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने बताया कि भगवान शिव सौ कमल चढ़ाने से जितने प्रसन्न होते हैं, उतना ही एक नीलकमल चढ़ाने पर प्रसन्न होते हैं। इसी तरह एक हजार नीलकमल के बराबर एक बेलपत्र से और एक हजार बेलपत्र चढ़ाने के फल के बराबर एक शमी पत्र से प्रसन्न होते है।
भगवान शिव को कभी भी हल्दी नहीं चढाई जाती है और उन्हें शंख से जल भी नहीं चढ़ाना चाहिए। हिन्दु धर्म शास्त्रों के अनुसार ये दोनों काम शिव पूजा में वर्जित बताये गए हैं। वैसे धार्मिक कार्यों में हल्दी का बहुत महत्व है। लेकिन हल्दी, शिवजी के अतिरिक्त अन्य सभी देवी-देवताओं को चढाई जाती है। चूँकि हल्दी सौंदर्य प्रसाधन में उपयोग की जाती है और शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक है, इसी कारण से भगवान भोलेनाथ को हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उन्हें सफेद वस्त्र अर्पित करने चाहिए ।
सावन माह में दूध, घी, दही और गाय के दान से भगवान शंकर शीघ्र ही प्रसन्न होते है । इसलिए अपने जीवन में सर्वत्र सफलता के लिए इन चीज़ो का दान अनिवार्य रूप से करना चाहिए ।
भगवान शिव सफेद रंग के फूलों से विशेषकर सफ़ेद कमल से जल्दी प्रसन्न होते हैं। भगवान शंकर को धतूरे के पुष्प, हरसिंगार, व नागकेसर के सफेद पुष्प, सूखे कमल गट्टे, कनेर, कुसुम, आक, कुश आदि के पुष्प चढ़ाने का विधान है। भगवान शंकर को धतूरे का फूल सबसे अधिक प्रिय है। इसके अलावा इनको बेलपत्र और शमी पत्र चढ़ाना बहुत ही शुभ माना जाता है।
लेकिन भगवान शिव जी को सेमल, कदम्ब, अनार, शिरीष , माधवी, केवड़ा, मालती, जूही और कपास के पुष्प नहीं चढ़ाये जाते है ।
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