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Vaishakh Som Pradosh Vrat 2020: आज है सोम प्रदोष व्रत, इस मुहूर्त में भगवान शिव को प्रसन्न कर पाएं ये लाभ

Vaishakh Som Pradosh Vrat 2020 आज सोम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा अर्चना की जाती है।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Mon, 20 Apr 2020 08:43 AM (IST)Updated: Mon, 20 Apr 2020 08:59 AM (IST)
Vaishakh Som Pradosh Vrat 2020: आज है सोम प्रदोष व्रत, इस मुहूर्त में भगवान शिव को प्रसन्न कर पाएं ये लाभ
Vaishakh Som Pradosh Vrat 2020: आज है सोम प्रदोष व्रत, इस मुहूर्त में भगवान शिव को प्रसन्न कर पाएं ये लाभ

Vaishakh Som Pradosh Vrat 2020: आज वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि और सोमवार दिन है। ऐसे में सोमवार के दिन पड़ने वाली त्रयोदशी तिथि को सोम प्रदोष व्रत होता है। आज सोम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा अर्चना की जाती है। आज के दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने से व्यक्ति को निरोगी काया और आरोग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके साथ ही देवों के देव महादेव अपने भक्त की मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।

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वैशाख सोम प्रदोष मुहूर्त

वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ आज रात 12 बजकर 42 मिनट से हो चुका है। त्रयोदशी तिथि का समापन 21 अप्रैल 2020 दिन मंगलवार को ब्रह्म मुहूर्त में 03 बजकर 11 मिनट पर होगा। ऐसे में आज आप को कुल 2 घंटे 12 मिनट का समय भगवान शिव की आराधना के लिए मिलेगा। आज सोम प्रदोष व्रत की पूजा का मुहूर्त शाम को 06 बजकर 50 मिनट से रात 09 बजकर 02 मिनट तक है।

प्रदोष व्रत में भगवान शिव की आराधना प्रदोष काल में ही करने का विधान है। प्रदोष काल सूर्योस्त के बाद और रात्रि से पूर्व का समय माना जाता है। आपकी जानकारी के लिए हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, प्रत्येक मास की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत होता है। एक मास में दो बार त्रयोदशी तिथि पड़ती है, इसलिए एक मास में दो बार प्रदोष व्रत होता है।

सोम प्रदोष व्रत एवं पूजा विधि

आज सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ वस्त्र पहन लें। फिर हाथ में जल और पुष्प लेकर सोम प्रदोष व्रत और पूजा का संकल्प लें। इसके पश्चात दैनिक पूजा करें और भगवान शिव की आराधना करें। फिर दिनभर फलाहार आदि करें और भगवान शिव की आराधना, वंदना करें। शाम के समय प्रदोष पूजा के मुहूर्त में स्नान आदि कर लें। फिर शुभ मुहूर्त में पूजा स्थल पर भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करें। 

इसके पश्चात भगवान शिव शंकर का गंगा जल से अभिषेक करें। फिर उनको अक्षत्, पुष्प, धतूरा, धूप, फल, चंदन, गाय का दूध, भांग आदि अर्पित करें। मौसमी फल, मिठाई आदि का भोग लगाएं। भगवान शिव को रेवड़ी, चिरौंजी और मिश्री का भोग लगा सकते हैं। इस दौरान ओम नम: शिवाय: मंत्र का जाप करें। शिव चालीसा का पाठ करने के बाद भगवान शिव की आरती करें। 

अब प्रसाद परिजनों में बांट दें। थोड़ा प्रसाद और कुछ दान दक्षिणा ब्राह्मण के लिए निकाल दें। रात्रि जागरण करें। फिर चतुर्दशी के दिन सुबह स्नान आदि के बाद भगवान शिव की पूजा करें। फिर पारण कर व्रत को पूरा करें। 


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