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Sita Jayanti 2020: रविवार को है सीता जयंती, जानें पूजा विधि, मुहूर्त एवं जन्म कथा

Sita Jayanti 2020 फाल्गुन कृष्ण अष्टमी को सीता जी का प्रकाट्य हुआ था। इसके उपलक्ष्य में हर वर्ष सीता जयंती या जानकी जयंती मनाया जाता है।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Tue, 11 Feb 2020 03:27 PM (IST)Updated: Fri, 14 Feb 2020 12:55 PM (IST)
Sita Jayanti 2020: रविवार को है सीता जयंती, जानें पूजा विधि, मुहूर्त एवं जन्म कथा
Sita Jayanti 2020: रविवार को है सीता जयंती, जानें पूजा विधि, मुहूर्त एवं जन्म कथा

Sita Jayanti 2020: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को सीता जी का प्रकाट्य हुआ था। इसके उपलक्ष्य में हर वर्ष सीता जयंती या जानकी जयंती मनाया जाता है। इस वर्ष सीता जयंती या जानकी जयंती 16 फरवरी दिन रविवार को है। आज के दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। आज के दिन मां सीता की पूजा अर्चना करने से वैवाहिक जीवन में आ रही परेशानियों का अंत होता है।

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाराजा जनक जी पुष्य नक्षत्र के मध्याह्न काल में यज्ञ की भूमि तैयार कर रहे थे। उस समय वह हल से भूमि जोत रहे थे, तभी जमीन से सीता जी प्रकट हुई थीं। सीता का एक नाम जानकी भी है, इसलिए सीता जयंती को जानकी जयंती भी कहा जाता है।

सीता जयंती: पूजा विधि

इस दिन प्रात:काल स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं और सीता जयंती व्रत का संकल्प करें। फिर पूजा स्थल पर माता सीता और श्री राम की प्रतिमा स्थापित करें। अब पूजा का प्रारंभ गणेश जी और अंबिका जी की आराधना से करें।

इसके बाद सीता जी को पीले फूल, कपड़े और श्रृंगार का सामान अर्पित करें। अक्षत्, रोली, चंदन, धूप, गंध, मिठाई आदि अर्पित करें। इसके पश्चात श्रीसीता-रामाय नमः या श्री सीतायै नमः मंत्र का जाप करें। यह आपके लिए फलदायी होगा। इसके पश्चात आरती करें और प्रसाद लोगों में वितरित करें।

सीता जयंती का महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सीता जयंती का व्रत करने से वैवाहिक जीवन के कष्टों का नाश होता है। जीवनसाथी दीर्घायु होता है। इस व्रत को करने से समस्त तीर्थों के दर्शन का लाभ प्राप्त होता है।

सीता जन्म की कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, मिथिला में एक बार भयानक अकाल पड़ा। इसे दूर करने के लिए एक यज्ञ का आयोजन किया जा रहा था। यज्ञ अनुष्ठान के लिए राजा जनक खेत में हल चला रहे थे। तभी एक कन्या उत्पन्न हुईं। राजा जनक ने उनको गोद में उठा लिया। मैथिली भाषा में हल को सीता कहते हैं, इसलिए जनक जी ने उनका नाम सीता रख दिया। जनक पुत्री होने के कारण सीता को जानकी, जनकात्मजा और जनकसुता कहा जाता है। मिथिला की राजकुमारी होने से उनको मैथिली भी कहा जाता है।


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