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Chhath Puja 2018: खास हैं ये लोक गीत बताते हैं पर्व का महत्व आैर अर्थ

रविवार 11 नवंबर से Chhath Puja 2018 का चार दिवसीय उत्सव प्रारंभ हो चुका है। आज हम बता रहे हैं उन लोक गीतों के बारे में जो इस दौरान काम काज करते गुनगनाये जाते हैं।

By Molly SethEdited By: Published: Mon, 12 Nov 2018 10:21 AM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 12:35 PM (IST)
Chhath Puja 2018: खास हैं ये लोक गीत बताते हैं पर्व का महत्व आैर अर्थ
Chhath Puja 2018: खास हैं ये लोक गीत बताते हैं पर्व का महत्व आैर अर्थ

छठ पूजा से जुड़े हैं लोक गीत

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वेसे तो भारतीय उत्सवों आैर पर्वों से कर्इ लोक गीत आैर कलायें जुड़ी हैं, जैसे दक्षिण में आेणम आैर पोंगल पर रंगोली बनार्इ जाती है आैर महाराष्ट्र में विभिन्न अवसरों पर कुछ खास लोक नृत्य किए जाते हैं। अन्य राज्यों में भी कर्इ लोक कलाआें का त्यौहारों से जुड़ा है। इसी तरह बिहार के इस प्रमुख पर्व छठ पूजा से भी कर्इ सुंदर लोकगीतों को गाया जाता है। लोकपर्व छठ के दौरान कर्इ कार्य जैसे प्रसाद बनाते, खरना के समय, अर्घ्य देने के लिए जाते हुए, अर्घ्य दान के समय और घाट से घर लौटते हुए अनेक मधुर और भक्तिपूर्ण लोकगीत गाये जाते हैं। हम यहां एेसे ही कुछ गीत लेकर आये हैं। 

गीत नंबर एक 

'केलवा जे फरेला घवद से, ओह पर सुगा मेड़राय

कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए'

सेविले चरन तोहार हे छठी मइया। महिमा तोहर अपार।

उगु न सुरुज देव भइलो अरग के बेर।

निंदिया के मातल सुरुज अंखियो न खोले हे।

चार कोना के पोखरवा

हम करेली छठ बरतिया से उनखे लागी।

केरवा जे फरेला घवद से ओह पर सुगा मेड़राय।

उ जे खबरी जनइबो अदिक (सूरज) से सुगा देले जुठियाए

उ जे मरबो रे सुगवा धनुक से सुगा गिरे मुरछाये

उ जे सुगनी जे रोये ले वियोग से आदित होइ ना सहाय देव होइ ना सहाय

इस गीत में एक ऐसे तोते का जिक्र है जो केले के एक गुच्छे के पास मंडरा रहा है आैर उसको डराया जाता है कि अगर तुम इस पर चोंच मारोगे तो तुम्हारी शिकायत भगवान सूर्य से कर दी जाएगी जो तुम्हें नहीं माफ करेंगे, फिर भी तोता केले को जूठा कर देता है और सूर्य के कोप का भागी बनता है। अब उसकी पत्नीसुगनी क्या करे बेचारी? कैसे सहे इस वियोग को? क्योंकि अब तो सूर्यदेव भी उसकी कोई सहायता नहीं कर सकते, आखिर तोते ने पूजा की पवित्रता जो नष्ट की है। अगला गीत भी इसी कथा का विस्तार है। 

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गीत नंबर दो 

कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकति जाए... बहंगी लचकति जाए... बात जे पुछेले बटोहिया बेहंगी केकरा के जाए? बहंगी केकरा के जाए? तू त आन्हर हउवे रे बटोहिया, बहंगी छठी माई के जाए... बहंगी छठी माई के जाए... कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकति जाए... बहंगी लचकति जाए...

केरवा जे फरेला घवद से ओह पर सुगा मेंड़राय... ओह पर सुगा मेंड़राय... खबरी जनइबो अदित से सुगा देले जूठियाय सुगा देले जूठियाय... ऊ जे मरबो रे सुगवा धनुष से सुगा गिरे मुरछाय... सुगा गिरे मुरछाय... केरवा जे फरेला घवद से ओह पर सुगा मेंड़राय... ओह पर सुगा मेंड़राय...

गीत नंबर तीन 

पटना के घाट पर नारियर नारियर किनबे जरूर... नारियर किनबो जरूर... हाजीपुर से केरवा मंगाई के अरघ देबे जरूर... अरघ देबे जरुर... आदित मनायेब छठ परबिया वर मंगबे जरूर... वर मंगबे जरूर... पटना के घाट पर नारियर नारियर किनबे जरूर... नारियर किनबो जरूर... पांच पुतर, अन, धन, लछमी, लछमी मंगबे जरूर... लछमी मंगबे जरूर... पान, सुपारी, कचवनिया छठ पूजबे जरूर... छठ पूजबे जरूर... हियरा के करबो रे कंचन वर मंगबे जरूर... वर मंगबे जरूर... पांच पुतर, अन, धन, लछमी, लछमी मंगबे जरूर... लछमी मंगबे जरूर... पुआ पकवान कचवनिया सूपवा भरबे जरूर... सूपवा भरबे जरूर... फल-फूल भरबे दउरिया सेनूरा टिकबे जरूर... सेनूरा टिकबे जरुर... उहवें जे बाड़ी छठी मईया आदित रिझबे जरूर... आदित रिझबे जरूर... कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकति जाए... बहंगी लचकति जाए... बात जे पुछेले बटोहिया बहंगी केकरा के जाए? बहंगी केकरा के जाए? तू त आन्हर हउवे रे बटोहिया, बहंगी छठी माई के जाए... बहंगी छठी माई के जाए..

इस गीत में छठ माता से धन, संतान आैर सुहाग से जुड़े वरदान मांगने की बात कही गर्इ है, जिसमें पूजा करने वाले कह रहे हैं कि वे पूरे विधि विधान से पूजा जरूर करेंगे आैर एेसा करके छठ मां से इन चीजों का वरदान मांगेगे।

 

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