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Shukra Pradosh Vrat 2022: शुक्र प्रदोष व्रत आज, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि

Shukra Pradosh Vrat 2022 शुक्रवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से हर दुख से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ ही समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।

By Shivani SinghEdited By: Published: Fri, 07 Oct 2022 08:47 AM (IST)Updated: Fri, 07 Oct 2022 09:07 AM (IST)
Shukra Pradosh Vrat 2022: शुक्र प्रदोष व्रत आज, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि
Shukra Pradosh Vrat 2022: शुक्र प्रदोष व्रत आज, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि

नई दिल्ली, Shukra Pradosh Vrat 2022: पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। आज के दिन शुक्रवार पड़ने के कारण इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाएगा। भगवान शिव को समर्पित इस व3त को करने से व्यक्ति को हर दुख दर्द से छुटकारा मिल जाता है और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। जानिए शुक्र प्रदोष व्रत की मुहूर्त, पूजा विधि।

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शुक्र प्रदोष व्रत 2022 मुहूर्त

आश्विन शुक्ल त्रयोदशी तिथि का आरंभ: 07 सितंबर को सुबह 07 बजकर 26 मिनट से शुरू

आश्विन शुक्ल त्रयोदशी तिथि का समापन: 08 सितंबर सुबह 05 बजकर 24 मिनट पर

शुक्र प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त: शाम 06 बजे से लेकर रात 08 बजकर 28 मिनट तक

रवि योग: शाम 06 बजकर 17 मिनट से अगले दिन 8 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 18 मिनट तक।

अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11 बजकर 33 मिनट से 12 बजकर 19 मिनट तक

प्रदोष व्रत का महत्व

स्कंद पुराण में प्रदोष व्रत के विभिन्न लाभों के बारे में विस्तार से बताया गया है। माना जाता है कि जो कोई भी व्यक्ति प्रदोष व्रत को भक्ति और विश्वास के साथ करता है तो उससे भगवान शिव और मां पार्वती अति प्रसन्न होते हैं उसे संतोष, धन और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद देते हैं। इसके साथ ही आपके सभी पापों हो जाते हैं।

शुक्र प्रदोष व्रत पूजा विधि

  • आज स्नान आदि करने के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें।
  • अगर आप व्रत रख रहे हैं तो भगवान शिव का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प लें।
  • भगवान शिव का जलाभिषेक करें। आप चाहे तो पंच तत्व (दूध, पानी, दही, शहद, गंगाजल) से भी अभिषेक कर सकते हैं।
  • अब भोलेनाथ को फूल और माला, बेलपत्र, धतूरा आदि चढ़ाएं।
  • इसके बाद भगवान शिव को भोग लगाएं।
  • फिर दीपक और धूप जलाकर शिव चालीसा, शिव मंत्र, प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें।
  • आरती करके भूल चूक के लिए माफी मांग लें।
  • दिनभर व्रत रहने के बाद शाम को व्रत खोल लें।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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