Move to Jagran APP

Shurkra Pradosh Vrat 2022: ज्येष्ठ मास के प्रदोष व्रत पर बन रहा खास संयोग, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Shurkra Pradosh Vrat 2022 हर माह की त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को समर्पित होती है। इसे प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। इस बार शुक्रवार होने के कारण इसे शुक्र प्रदोष कहा जाता है। जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

By Shivani SinghEdited By: Published: Thu, 26 May 2022 12:16 PM (IST)Updated: Fri, 27 May 2022 08:43 AM (IST)
Shurkra Pradosh Vrat 2022: ज्येष्ठ मास के प्रदोष व्रत पर बन रहा खास संयोग, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Shurkra Pradosh Vrat 2022: ज्येष्ठ मास के प्रदोष व्रत पर बन रहा खास संयोग, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

नई दिल्ली, Shurkra Pradosh Vrat 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर मास की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत है। शुक्रवार पड़ने के कारण इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाएगा। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा विधि-विधान से की जाती है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। ज्येष्ठ मास का प्रदोष व्रत काफी खास है क्योंकि इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ सौभाग्य योग बन रहा है। जानिए शुक्र प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

loksabha election banner

शुक्र प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त

ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि प्रारंभ- 27 मई को सुबह 11 बजकर 47 मिनट पर

ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि समाप्त- 28 मई 2022 को दोपहर 01 बजकर 09 मिनट पर

प्रदोष काल- 27 मई को शाम 07 बजकर 12 मिनट से रात 09 बजकर 14 मिनट तक

सर्वार्थ सिद्धि योग- सुबह 05 बजकर 09 मिनट से लेकर 28 मई सुबह 02 बजकर 26 मिनट तक

सौभाग्य योग- 26 अप्रैल रात 10 बजकर 15 मिनट से शुरू होकर 27 मई को रात 10 बजकर 09 मिनट तक

शुक्र प्रदोष व्रत पूजा विधि

  • जल्द उठकर स्नान आदि कर लें।
  • स्नान के बाद साफ-सुथरे सूखे वस्त्र धारण कर लें।
  • अगर आप व्रत रख रहे हैं तो भगवान शिव का स्नरण करते हुए व्रत का संकल्प लें।
  • सबसे पहले भगवान शिव का जलाभिषेक करें
  • आप चाहे तो पंच तत्व (दूध, पानी, दही, शहद, गंगाजल) से भी अभिषेक कर सकते हैं
  • अब भोलेनाथ को फूल और माला, बेल पत्र, धतूरा आदि चढ़ाएं।
  • इसके बाद भगवान शिव को भोग लगाएं।
  • भोग लगाने के बाद जल अर्पित करें।
  • अब घी का दीपक और धूप जलाकर शिव चालीसा, शिव मंत्र का जाप करें।
  • अंत में आरती करके भूल चूक के लिए माफी मांग लें।
  • दिनभर व्रत रहने के बाद शाम को व्रत खोल लें।

इन शिव मंत्रों का करें जाप

ॐ नमः शिवाय

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥

ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः

Pic Credit- Instagram/bhagwan_ji_ki_bhakt

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.