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Shravana Putrada Ekadashi Vrat 2020: जानें क्या है पूजा करने का शुभ समय, जानें पुत्रदा एकादशी का महत्व

Shravana Putrada Ekadashi Vrat 2020 एकादशी का हमारे हिन्दू धर्म में बड़ा महत्व है। प्राय एकादशी पर लोग उपवास रख ईश्वर की आरधना करते हैं।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Thu, 30 Jul 2020 06:45 AM (IST)Updated: Thu, 30 Jul 2020 07:56 AM (IST)
Shravana Putrada Ekadashi Vrat 2020: जानें क्या है पूजा करने का शुभ समय, जानें पुत्रदा एकादशी का महत्व
Shravana Putrada Ekadashi Vrat 2020: जानें क्या है पूजा करने का शुभ समय, जानें पुत्रदा एकादशी का महत्व

Shravan Putrada Ekadashi Vrat 2020: एकादशी का हमारे हिन्दू धर्म में बड़ा महत्व है। प्राय एकादशी पर लोग उपवास रख ईश्वर की आरधना करते हैं। सावन के महीने में गुरुवार 30 जुलाई को पुत्र एकादशी है। हिंदू पंचांग की एकादशी तिथि चाहे वह कृष्ण पक्ष की हो या शुक्ल पक्ष की, हिंदू धर्म में उसका महत्व अधिक होता है। प्रत्येक माह की कृष्ण और शुक्ल एकादशी अपने आप में खास होती हैं। एकादशी के दिन भगवान विष्णु की आराधना की जाती है और उपवास भी रखा जाता है। श्रावण और पौष महीने की एकादशियों का महत्व एक समान माना जाता है। इन एकादशियों को संतान प्राप्ति के लिए श्रेष्ठ माना गया है। सावन महीने की एकादशी को श्रावण पुत्रदा एकादशी कहा जाता है।

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ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि पूरे वर्ष में कुल मिलाकर 24 एकादशी के व्रत पड़ते हैं। श्रावण मास में पड़ने वाली एकादशी का बहुत महत्व होता है। इस व्रत में श्री हरि विष्णु की पूजा आराधना की जाती है। श्रावण मास में पड़ने वाली एकादशी को श्रावण पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। सच्चे मन से यह व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है,जिन लोगों को किसी भी प्रकार की संतान संबंधी समस्या हो उन्हें यह व्रत अवश्य रखना चाहिए।

व्रत विधि:

मान्यता है कि एकादशी व्रत निर्जला किया जाता है लेकिन क्षमता के अनुसार इसे जल के साथ भी किया सकता है। संध्या के समय फलाहार कर सकते हैं। अगर आपको एकादशी का व्रत रखना है, तो दशमी तिथि से ही सात्विक आहार ग्रहण करना चाहिए। एकदशी के दिन सुबह उठकर स्नानादि करके स्वचछ वस्त्र धारण करे और पूजाघर में श्री हरि विष्णु को प्रणाम करके उनके समक्ष दीपक प्रज्वलित करें। और व्रत का संकल्प करें। धूप-दीप दिखाएं और विधिवत विष्णु जी की पूजा करें, फलों, नैवेद्य से भोग लगाएं और अंत में आरती उतारें। विष्णु जी को तुलसी अति प्रिय है इसलिए उनकी पूजा में तुलसी का प्रयोग अवश्य करें। शाम के समय कथा पढ़े या सुनें। द्वादशी तिथि को सूर्योदय के समय शुभ मुहूर्त में से विष्णु जी पूजा करके किसी भूखे व्यक्ति या ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिए। और दक्षिणा देनी चाहिए। उसके बाद व्रत का पारण करना चाहिए। व्रत में ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन भी करना चाहिए।

पुत्रदा एकादशी का महत्व: 

पुत्रदा एकादशी व्रत करने से वाजपेयी यज्ञ के बराबर पुण्यफल की प्राप्ति होती है, जिन लोगों की संतान नहीं है उन लोगों के लिए यह व्रत बहुत शुभफलदायी होता है, भगवान विष्णु की कृपा से उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होती है। अगर संतान को किसी प्रकार का कष्ट है तो भी यह व्रत रखने से सारे कष्ट दूर होते हैं। संतान दीर्घायु होती है। जो लोग पूरी श्रद्धा के साथ पुत्रदा एकादशी का माहत्मय पढ़ता या श्रवण करता है। उसके कई गायों के दान के बराबर फल की प्राप्ति होती है। समस्त पापों का नाश हो जाता है।

पूजा करने का शुभ मुहूर्त:

एकादशी तिथि का आरंभ 30 जुलाई को 01:16 AM मिनट पर होगा।

एकादशी समाप्ति 30 जुलाई को 11:49 PM मिनट पर होगी।

व्रत के पारण का समय 31 जुलाई की सुबह को 05:42 बजे से 08:24 बजे तक रहेगा।

पारण के दिन द्वादशी तिथि 10:42 PM पर समाप्त हो जाएगी।


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