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Shiv Aarti and Mantra: दु:खों का नाश करते हैं भोलेनाथ, करें शिव आरती और जपें मंत्र

Shiv Aarti and Mantra प्रत्येक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि मनाई जाती है। लेकिन जो शिवरात्रि सावन माह में आती है उसका महत्व बढ़ जाता है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Sun, 19 Jul 2020 07:00 AM (IST)Updated: Sun, 19 Jul 2020 01:47 PM (IST)
Shiv Aarti and Mantra: दु:खों का नाश करते हैं भोलेनाथ, करें शिव आरती और जपें मंत्र
Shiv Aarti and Mantra: दु:खों का नाश करते हैं भोलेनाथ, करें शिव आरती और जपें मंत्र

Shiv Aarti and Mantra: प्रत्येक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि मनाई जाती है। लेकिन जो शिवरात्रि सावन माह में आती है उसका महत्व बढ़ जाता है। इस दिन शिवलिंग का जलाभिषेक किया जाता है। साथ ही बेलपत्र, फूल इत्यादि भी चढ़ाए जाते हैं। इस दिन लोग शिव शंकर की पूजा करते हैं और व्रत करते हैं। यही नहीं, भगवान शिव का रुद्राभिषेक भी किया जाता है। भक्तों के व्रत और आराधना से प्रसन्न होकर भोलेनाथ उनके दु:खों का नाश करते हैं। इस दिन भगवान शिव की आरती की भी अहम भूमिका होती है। शिव की पूजा-अर्चना करने के बाद शिव आरती करें। इसके अलावा हम आपको शिव के कुछ मंत्रों की जानकारी भी देंगे जिनके सही उच्चारण से आप पर भोलेनाथ की कृपा-दृष्टि बनी रहती है। यहां पढ़ें शिव आरती।

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जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।

ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव...॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे

हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव...॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।

त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।

चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव...॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।

जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव...॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।

प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव...॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।

नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव...॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।

कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव...॥

शिव शंकर के मंत्रों का करेंगे जाप तो बनी रहेगी कृपा:

1. ॐ नमः शिवाय।

2. नमो नीलकण्ठाय।

3. ॐ पार्वतीपतये नमः।

4. ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।

5. ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा।

6. ऊर्ध्व भू फट्।

7. इं क्षं मं औं अं।

8. प्रौं ह्रीं ठः।


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