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Navaratri 2022: महानवमी पर दोपहर इतने बजे तक कर सकते हैं कन्या पूजन, जानिए मुहूर्त और विधि

Shardiya Navratri 2022 Mahanavami Kanya Pujan शारदीय नवरात्र की नवमी तिथि को मां सिद्धिदात्री का पूजन करने के साथ-साथ कलश विसर्जन किया जाता है। इसके पहले हवन औक कन्या पूजन का विधान है। जानिए कन्या पूजन की विधि और मुहूर्त

By Shivani SinghEdited By: Published: Tue, 04 Oct 2022 09:38 AM (IST)Updated: Tue, 04 Oct 2022 09:38 AM (IST)
Navaratri 2022: महानवमी पर दोपहर इतने बजे तक कर सकते हैं कन्या पूजन, जानिए मुहूर्त और विधि
Navaratri 2022: महानवमी पर दोपहर इतने बजे तक कर सकते हैं कन्या पूजन

नई दिल्ली,Navratri 2022 Kanya Pujan: नवरात्र के आखिरी दिन मां दुर्गा के नवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा करने का विधान है। आज के दिन के साथ नवरात्र का समापन भी हो जाएगा। सिद्धिदात्री एकलौती ऐसा अवतार है जिन्हें पूरे 8 सिद्धियां प्राप्त है। इसलिए आज के दिन विधिवत तरीके से मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा जरूर करना चाहिए। कई लोग नवरात्र के पूरे नौ दिनों तक व्रत रखने के साथ कलश स्थापना करते हैं। अगर आपने भी इस बार पूरे नौ दिनों का व्रत रखा है, तो महानवमी और दशमी तिथि को ही कलश विसर्जन करना चाहिए। विसर्जन से पहले हवन और कन्या पूजन जरूर करें। अगर अभी तक आपने कन्या पूजन नहीं किया है, तो जान लें कि किस समय करना होगा शुभ।

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नवरात्रि नवमी कब से कब तक

शारदीय नवरात्र की नवमी तिथि आरंभ- 03 अक्टूबर को शाम 04 बजकर 37 मिनट से शुरू

नवमी तिथि समाप्त- 04 अक्टूबर को दोपहर 02 बजकर 20 मिनट

नवमी पर कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त

शुभ मुहूर्त- सुबह 05 बजकर 02 मिनट से सुबह 06 बजकर 15 मिनट तक

अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 46 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक

लाभ मुहूर्त- सुबह 10 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 10 मिनट तक

ऐसे करें कन्या पूजन

कन्या पूजन के लिए 2 से 10 साल की बच्चियां की पूजा करना शुभ माना जाता है। क्योंकि इस उम्र की बालिकाओं को मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। अगर आप पहले से कन्याओं को न्यौता नहीं दे पाएं, तो आपको जितनी कन्याएं मिल जाएं 1, 2, 5, 7 उतनी ही कन्याओं को बुलाकर भोजन कराएं। कन्याओं को घर में बुलाएं और एक थाली में जल लेकर उनके पैरों को धो लें। इसके बाद रूमाल या तौलिया से पैरों के पोछ दें।

पैर धोने के बाद उन्हें सत्कार के साथ बैठाएं। इसके बाद उनके माथे में घी के साथ सिंदूर लगाएं। इसके साथ ही चुनरी पहनाकर फूल चढ़ाएं। फिर विधिवत आरती करने के बाद उन्हें प्यार से भोजन कराएं। भोजन में हलवा, चना, पूरी, फल खिलाएं। भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्य के हिसाब से उपहार दें और पैर छूकर आशीष लेने के साथ उन्हें विदा करें।

अंत में कन्या के पैर जिस पानी से धोएं थे उन्हें अपने पूरे घर में छिड़क लें। माना जाता है कि ऐसा करने से मां दुर्गा की कृपा हमेशा बनी रहती है।

डिसक्लेमर

इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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