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Shardiya Navratri 2022 Day 3: नवरात्र के तीसरे दिन की जाएगी माता चंद्रघंटा की पूजा, जानें पूजा विधि और मंत्र

Shardiya Navratri 2022 Day 3 शारदीय नवरात्र पर्व के दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। इस दिन माता की पूजा करने से व्यक्ति का स्वाभाव विनम्र हो जाता है और जीवन खुशियों से भर जाता है।

By Shantanoo MishraEdited By: Published: Sat, 24 Sep 2022 05:55 PM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2022 07:28 AM (IST)
Shardiya Navratri 2022 Day 3: नवरात्र के तीसरे दिन की जाएगी माता चंद्रघंटा की पूजा, जानें पूजा विधि और मंत्र
शारदीय नवरात्र 2022: 28 सितंबर 2022 शारदीय नवरात्र की तृतीया तिथि पद रही है।

नई दिल्ली, Shardiya Navratri 2022 Day 3, Mata Chandraghanta: 26 सितंबर से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है। इन नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ सिद्ध स्वरूपों की पूजा की जाएगी। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि अर्थात 28 सितंबर 2022 (Navratri Tritiya Tithi Date) को माता चंद्रघंटा की जाएगी। मान्यताओं के अनुसार नवरात्र महापर्व के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा करने से व्यक्ति का स्वाभाव सुंदर हो जाता है और उनके जीवन में कई प्रकार की खुशियां आती है।

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देवी चंद्रघंटा का अलौकिक स्वरूप

शास्त्रों के अनुसार माता चंद्रघंटा का रंग सोने के समान तेजवान है। माता के तीन नेत्र और 10 भुजाएं हैं। इनके प्रत्येक हाथों में कमल का पुष्प, गदा, बाण, धनुष, त्रिशूल, खड्ग, चक्र, खप्पर, और अग्नि सुशोभित हैं। मां चंद्रघंटा शेर पर सवार होकर आती हैं और हर समय युद्ध के लिए तैयार रहती हैं।

देवी चंद्रघंटा पूजा विधि (Devi Chandraghanta Puja Vidhi)

नवरात्र के तीसरे दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान आदि करके पूजा स्थल कि सफाई करें। फिर नित्यपूजा के साथ 'ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः' मंत्र का जाप करें। इसके बाद माता को गंध, पुष्प, धूप, अक्षत, सिंदूर अर्पित करें और दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं। इसके बाद दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा और आरती करें। साथ ही मंत्र का जाप जरूर करें-

या देवी सर्वभूतेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।

पूजा महत्व

माता चंद्रघंटा की पूजा करने से साधक के सभी दुःख-दर्द दूर हो जाते हैं और वह निर्भय व वीर बन जाता है। देवी की आराधना से व्यक्ति के मुख, नेत्र और काया में सकारात्मक विकास होता है। इसके साथ बुद्धि और ज्ञान में भी वृद्धि होती है।

इस रंग का करें प्रयोग

देवी की पूजा के समय भूरे रंग का वस्त्र पहनना व्यक्ति के लिए बहुत फलदायी साबित हो सकता है। साथ ही व्यक्ति स्वर्ण रंग के वस्त्र भी धारण कर सकता है। इन दोनों रंगों को इस दिन शुभ माना गया है। इसके साथ भक्त इस दिन दूध से बने मिष्ठान का भोग लगा सकते हैं। माता को शहद भी बहुत प्रिय है।

डिसक्लेमर

इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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