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Sharad Purnima Puja 2020: शरद पूर्णिमा पर धन-वैभव और ऐश्वर्य की होती है प्राप्ति, इस तरह करें पूजा

Sharad Purnima 2020 Puja Vidhi आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। इसे अश्विन पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस वर्ष यह 30 अक्टूबर को है। इस तिथि को बेहद अहम माना जाता है। इस दिन लोग लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Wed, 28 Oct 2020 10:00 AM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 01:35 PM (IST)
Sharad Purnima Puja 2020: शरद पूर्णिमा पर धन-वैभव और ऐश्वर्य की होती है प्राप्ति, इस तरह करें पूजा
Sharad Purnima 2020 Puja Vidhi: शरद पूर्णिमा पर धन-वैभव और ऐश्वर्य की होती है प्राप्ति, इस तरह करें पूजा

Sharad Purnima 2020 Puja Vidhi: आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। इसे अश्विन पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस वर्ष यह 30 अक्टूबर को है। इस तिथि को बेहद अहम माना जाता है। इस दिन लोग लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इसी तिथि पर देवी लक्ष्मी का अवतरण हुआ था। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से व्यक्ति को धन वैभव और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इस तिथि को कोजागरी पूर्णिमा या कोजागरी लक्ष्मी पूजा भी कहा जाता है। आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा पर कैसे करें पूजा।

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शरद पूर्णिमा व्रत विधि:

  • शरद पूर्णिमा के दिन सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठ जाएं और नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नानादि कर लें। फिर घर के मंदिर को साफ करें।
  • मां लक्ष्मी का ध्यान करें और फिर देवी लक्ष्मी और श्रीहरि की पूजा करें।
  • एक साफ चौकी लें और उस पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं। इस पर मां लक्ष्मी और विष्णु जी की मूर्ति स्थापित करें।
  • भगवान की मूर्ति या प्रतिमा के सामने घी का दीपक जलाएं। धूप लगाएं। मूर्ति पर गंगाजल छिड़के और अक्षत् और रोली का तिलक लगाएं।
  • फिर सफेद या पीले रंग की मिठाई से भोग लगाएं। साथ ही लाल या पीले रंग के फूल चढ़ाएं। अगर आप गुलाब का फूल चढ़ाते हैं तो बेहतर होगा।
  • गाय के दूध में चावल की खीर बनाएं। इसके बाद इस खीर को छोटे-छोटे बर्तनों में भरें और चंद्रमा की रोशनी में छलनी से ढककर रख दें।
  • इसके बाद ब्रह्म मुहूर्त जागते हुए गणपति की आरती के बाद विष्णु सहस्त्रनाम का जप, श्रीसूक्त का पाठ, भगवान श्रीकृष्ण की महिमा, श्रीकृष्ण मधुराष्टकम् का पाठ और कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें।
  • फिर अगले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाएं और स्नानादि कर लें। फिर मां लक्ष्मी को खीर अर्पित करें। यह खीर प्रसाद के रूप में घर-परिवार के लोगों को दें।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। ' 


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