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Shanidev Puja Vidhi: शनिवार को इस तरह करें शनिदेव की पूजा, जानें पूजा विधि

Shanidev Puja Vidhi शनि ग्रह के प्रति कई लोगों को गलत अवधारणा है। लोगों को लगता है कि शनिदेव केवल अशुभ और मारक ही होते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Fri, 18 Sep 2020 08:07 PM (IST)Updated: Sat, 19 Sep 2020 06:00 AM (IST)
Shanidev Puja Vidhi: शनिवार को इस तरह करें शनिदेव की पूजा, जानें पूजा विधि
Shanidev Puja Vidhi: शनिवार को इस तरह करें शनिदेव की पूजा, जानें पूजा विधि

Shanidev Puja Vidhi: शनि ग्रह के प्रति कई लोगों को गलत अवधारणा है। लोगों को लगता है कि शनिदेव केवल अशुभ और मारक ही होते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। इन्हें सूर्य पुत्र एवं कर्मफल दाता भी कहा जाता है। शनिदेव लोगों को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। शनि ही एक मात्र ऐसा ग्रह है जो व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त कराता है। शनिदेव प्रकृति में संतुलन पैदा करता है और हर व्यक्ति और प्राणी का उसके कर्मों के अनुसार न्याय करता है। अनुराधा नक्षत्र के स्वामी शनि हैं।

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मान्यता है कि अगर किसी का शनि ग्रह अच्छा हो तो सफलता उसे जरूर प्राप्त होती है। लेकिन शनि ग्रह अच्छा न हो तो व्यक्ति के जीवन में कई परेशानियां आती रहती हैं। कहा जाता है कि शनि को शांत करने के लिए अगर शनिवार को पूजा-अर्चना की जाए तो शनिदेव प्रसन्न हो जाते हैं और व्यक्ति की सभी परेशानियों को हर लेते हैं। शनिवार को विधि-विधान से पूजा की जानी चाहिए। अगर आप भी आज शनिदेव की पूजा कर रहे हैं तो आइए जानते हैं शनिदेव की पूजन विधि।

शनिवार को इस तरह करें पूजा:

  • शनिवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए। फिर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं और स्वच्छ कपड़ें पहन लें।
  • फिर पीपल के वृक्ष पर जल अर्पण करें।
  • फिर शनि देवता की मूर्ति लें। यह लोहे से बनी हो तो बेहतर होगा। इस मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं।
  • अब चावलों के चौबीस दल बनाएं और इसी पर मूर्ति को स्थापित करें।
  • इसके बाद काले तिल, फूल, धूप, काला वस्त्र व तेल आदि से शनिदेव की पूजा-अर्चना करें।
  • शनिदेव की पूजा के दौरान शनिदेव के 10 नामों कोणस्थ, कृष्ण, पिप्पला, सौरि, यम, पिंगलो, रोद्रोतको, बभ्रु, मंद, शनैश्चर का उच्चारण करें।
  • इसके बाद पीपल के वृक्ष के तने पर सूत के धागे से 7 परिक्रमा करें।
  • फिर शनिदेव के मंत्र का जाप करें। शनैश्चर नमस्तुभ्यं नमस्ते त्वथ राहवे। केतवेअथ नमस्तुभ्यं सर्वशांतिप्रदो भव॥

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