Move to Jagran APP

Shani Jayanti 2022: शनि जयंती पर 30 साल बाद बन रहा दुर्लभ संयोग, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Shani Jayanti 2022 ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को शनि जयंती पड़ रही है। इस साल शनि जयंती के दिन काफी खास संयोग बन रहा है। क्योंकि इस बार शनि देव अपनी राशि कुंभ राशि में ही होंगे। जानिए शनि जयंती का शुभ मुहूर्त पूजा विधि।

By Shivani SinghEdited By: Published: Wed, 18 May 2022 03:00 PM (IST)Updated: Sat, 21 May 2022 06:29 PM (IST)
Shani Jayanti 2022: शनि जयंती पर 30 साल बाद बन रहा दुर्लभ संयोग, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Shani Jayanti 2022 जानिए शनि जयंती की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि

नई दिल्ली, Shani Jayanti 2022: हिंदू कैलेंडर के अनुसार, ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को शनि जयंती का व्रत रखा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भगवान शनि का जन्म हुआ था। इसी कारण इस दिन जन्मोत्सव के रूप में शनिदेव की पूजा करने का विधान है। माना जाता है कि शनि देव इंसान को उसके कर्मों के हिसाब से ही फल देते हैं। कर्मफलदाता शनिदेव की कृपा पाने के लिए शनि जयंती का दिन काफी खास माना जाता है। क्योंकि इस दिन विधिवत तरीके से पूजा करने से कुंडली से शनि दोष, ढैय्या, साढ़ेसाती से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ ही शनिदेव की कृपा होने से शारीरिक, मानसिक और आर्थिक समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है। जानिए शनि जयंती की तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि।

loksabha election banner

शनि जयंती पर बन रहा खास संयोग

शनि जयंती का दिन इस बार काफी खास है। क्योंकि इस बार सोमवती अमावस्या के साथ-साथ वट सावित्री व्रत भी रखा जाएगा। बता दें कि ऐसा संयोग करीब 30 सालों बाद बन रहा है। जब शनिदेव अपनी राशि कुंभ राशि में रहेंगे। इसके साथ ही इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है।

शनि जयंती का शुभ मुहूर्त

शनि जयंती तिथि- 30 मई 2022, सोमवार को उदया तिथि होने के कारण इसी दिन शनि जयंती होगी।

ज्येष्ठ अमावस्या तिथि आरंभ- 29 मई की दोपहर 2 बजकर 54 मिनट से शुरू

ज्येष्ठ अमावस्या तिथि का समापन- 30 मई की शाम 4 बजकर 59 मिनट पर

शनि जयंती पूजा विधि

अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद शनिदेव का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प करें। अब एक चौकी में साफ नया काले रंग का वस्त्र बिछाकर शनिदेव की तस्वीर या फिर प्रतीक के रूप में सुपारी रख दें। इसके बाद इसे पंचगव्य और पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद सिंदूर, कुमकुम, काजल लगाने के साथ नीले रंग के फूल अर्पित करें। इसके बाद श्री फल सहित अन्य फल चढ़ाएं। चाहे तो सरसों का तेल, तिल भी चढ़ा सकते हैं। इसके बाद दीपक जलाकर शनिदेव का ध्यान करते हुए शनि चालीसा के साथ-साथ शनि मंत्र का भी जाप कर लें। अंत में आरती करने के साथ भूल चूक के लिए माफी मांग लें।

Pic Credit- Instagram/trendbakthi

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.