जानें कैसे पाएं साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति, व्रत, दान और हवन उपाय
Shani Jayanti 2019 आज शनि जयंती के अवसर ज्योतिषाचार्य पं राजीव शर्मा जी बता रहे हैं कि शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या से मुक्ति पाने के क्या उपाय हैं।
शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए हम शनिवार का व्रत रखते हैं और पूजा-पाठ के साथ दान आदि देते हैं। आज शनि जयंती के अवसर ज्योतिषाचार्य पं राजीव शर्मा बता रहे हैं कि शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या से मुक्ति पाने के क्या उपाय हैं। उन उपायों को अगर हम अपनाते हैं तो शनिदेव को प्रसन्न करके मनोवांछित फल की प्राप्ति कर सकते हैं, साथ ही साढ़ेसाती और ढैय्या के दुष्प्रभाव से भी बच सकेंगे।
चार शनिवार करें शनिदेव का व्रत
शनि देव का व्रत शनि ग्रह की शांति के लिए करते हैं। यह व्रत रोग, शोक, भय व बाधा दूर करता है और भूमि, गृह निर्माण, गाड़ी, मशीनरी आदि का लाभ देता है।
शनिवार व्रत-विधि
शनिवार व्रत के लिए स्नान आदि से निवृत्त होकर पीपल के पेड़ के नीचे अथवा शनि मंदिर में अथवा चित्र का पूजन करना चाहिए। साथ ही शनिदेव के 10 नामों का निरंतर उच्चारण करें।
इसके उपरान्त पीपल के पेड़ के चारों ओर 7 बार कच्चा सूत लपेटें और 7 बार पेड़ की परिक्रमा कर पूजन करें। सूर्योदय होने से पहले ही यह पूजा कर लेनी चाहिए।
शनिदेव को भोग लगाएं
प्रत्येक मास के प्रथम शनिवार को उड़द की खिचड़ी, दही, द्वितीय शनिवार को तूवर, तृतीय को खजला और चतुर्थ को पूड़ी तथा घी का भोग शनिदेव को लगाएं। भोग लगाने तथा यही सामग्री ग्रहण करने से शनिदेव संतुष्ट होते हैं। प्रत्येक शनिवार को इस व्रत को करने से साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव समाप्त होता है।
शनि दान उपाय
काले तिल, लोहा, तेल, साबुत उड़द, काली छतरी, भैंस, चमड़े के जूते, काले कपड़े आदि दान करने से शनि देव प्रसन्न रहते हैं।
शनि हवन
शनि ग्रह से संबंधित दोष व पीड़ा शांति के लिए हवन करने का विधान है। यह हवन शुभ मुर्हूत में पंचांग में अग्निवास देखकर शमीकाष्ठ से हवन करना क्षेष्ठ रहता है।
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