Sawan 2020: विधि विधान से करें शिवशंकर की पूजा, जानें भोलेनाथ की पूजा के अहम नियम
Sawan 2020 हम आपके लिए भोलेनाथ की पूजन विधि के कुछ अहम नियमों की जानकारी लाए हैं जिनका पालन आपको करना चाहिए।
Sawan 2020: भगवान भोलेनाथ के भक्तों के लिए सावन का महीना बेहद ही महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान शिवभक्त भोलेनाथ की पूजा करते हैं और उनकी भक्ति में लीन हो जाते हैं। कहा जाता है कि श्रावण मास में शिव जी की पूजा करने और व्रत करने से वो जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। अगर शिव जी की पूजा पूरे विधि विधान से की जाए तो लोगों को फल प्राप्त होता है। हालांकि, कई लोग ऐसे होते हैं जिन्हें शिवशंकर की विधि विधान से पूजा कैसे की जाए इसकी जानकारी नहीं होती है। ऐसे में हम आपके लिए भोलेनाथ की पूजन विधि के कुछ अहम नियमों की जानकारी लाए हैं जिनका पालन आपको करना चाहिए।
कहते हैं शंकर जी को बिल्व पत्र बेहद पसंद हैं। शिव जी की पूजा करते समय अगर उन्हें बिल्व पत्र चढ़ाए जाएं तो वो बेहद खुश हो जाते हैं। प्राचीन शिव पुराण के अनुसार, बिल्व पत्रों को तोड़ते समय एक विशेष मंत्र का उच्चारण किया जाता था। इन्हें तोड़ते समय बिल्व वृक्ष को श्रद्धापूर्वक प्रणाम किया जाता है और मंत्र का उच्चारण किया जाता है। जानें क्या है बिल्व पत्र तोड़ने का मंत्र:
अमृतोद्धव श्रीवृक्ष महादेवप्रिय: सदा।
गृहामि तव पत्रणि शिवपूजार्थमादरात्।।
कब तोड़ा जाता है बिल्व पत्र:
चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथियों को बिल्व पत्र नहीं तोड़ना चाहिए। साथ ही संक्रांति और सोमवार को भी इन्हें नहीं तोड़ना चाहिए। एक दिन पहले का तोड़ा हुआ बिल्व पत्र भी सोमवार को पूजा करते समय चढ़ाया जा सकता है।
भगवान शिव को बिल्व पत्र, धतूरा और पत्ते जिस तरह उगते हैं वैसे ही चढ़ाना चाहिए। जब ये उगते हैं तो उनका मुंह ऊपर की तरफ होता है। ऐसे में जब इन्हें भगवान शिव को चढ़ाया जाता है तो भी इनका मुख ऊपर की तरफ ही होनी चाहिए।
शिव जी की पूजा में दूर्वा और तुलसी की भी खास मान्यता है। दूर्वा घार और तुलसी को अपनी तरफ मुख कर चढ़ाया जाना चाहिए। वहीं, फूल और बिल्व पक्ष को चढ़ाते समय दाहिने हाथ की हथेली से मध्यमा, अनामिका और अंगूठे की मदद से चढ़ाना चाहिए। अगर आपको शिव जी पर चढ़ें फूल और बिल्व पत्रों को हटाना है तो उन्हें अंगूठे और तर्जनी उंगली से उतारना चाहिए।