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Sawan Putrada Ekadashi 2020: पुत्रदा एकादशी व्रत करने वाने इस समय में करें पारण

Sawan Putrada Ekadashi 2020 जो लोग सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत रहे हैं उनको आज इस समय में पारण कर व्रत पूर्ण करना चाहिए।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Wed, 29 Jul 2020 08:30 AM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2020 06:42 AM (IST)
Sawan Putrada Ekadashi 2020: पुत्रदा एकादशी व्रत करने वाने इस समय में करें पारण
Sawan Putrada Ekadashi 2020: पुत्रदा एकादशी व्रत करने वाने इस समय में करें पारण

Sawan Putrada Ekadashi 2020: हिन्दी पंचांग के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को सावन पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष सावन पुत्रदा एकादशी कल 30 जुलाई को थी। इस दिन भगवान विष्णु और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने का विधान है। उनकी पूजा करने से पुत्र की कामना करने वालों को संतान की प्राप्ति होती है। जो लोग यह व्रत रहे हैं, उनको पारण के समय में भोज्य पदार्थ ग्रहण कर अपना व्रत पूरा करना चाहिए। 

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पारण का समय

व्रत रखने वाले व्यक्ति को पारण 31 जुलाई दिन शुक्रवार को सुबह 05 बजकर 42 मिनट से 08 बजकर 24 मिनट के मध्य कर लेना चाहिए।

सावन पुत्रदा एकादशी का महत्व

इस एकादशी का व्रत संतान की कामना करने वाले और संतान वाले दोनों ही करते हैं। जिनकी संतान है, वे लोग उसके दीर्घ आयु और कल्याण के लिए यह व्रत रखते हैं। जिनकी कोई संतान नहीं है, वे पुत्र की कामना से इस एकादशी का व्रत रखते हैं। पुत्रदा एकादशी व्रत करने से व्यक्ति को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी दोनों की ही कृपा प्राप्त होती है।

पुत्रदा एकादशी मुहूर्त

श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 30 जुलाई को 01 बजकर 16 मिनट से हो चुका है, जो देर रात 23 बजकर 49 मिनट तक रहेगा।

पुत्रदा एकादशी व्रत एवं पूजा विधि

एकादशी तिथि के दिन प्रात:काल स्नान आदि से निवृत होकर साफ कपड़े पहनें। इसके बाद पूजा स्थान को साफ कर लें। फिर हाथ में जल लेकर पुत्रदा एकादशी व्रत एवं पूजा का संकल्प लें। अब भगवान विष्णु या बाल गोपाल श्रीकृष्ण की प्रतिमा को एक चौकी पर स्थापित करें। फिर उनको पंचामृत से स्नान कराएं। चंदन तिलक कर वस्त्र पहनाएं। पीले पुष्प, धूप, दीप, गंध, तुलसी, पान, सुपारी आदि अर्पित करें। फल, नारियल, बेर, आंवला, लौंग भी अर्पित करें। इसके पश्चात विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। फिर भगवान विष्ण की आरती करें। ईश्वर से अपनी इच्छा व्यक्त करें।

दिनभर व्रत के नियमों का पालन करें और भगवत वंदना में समय व्यतीत करें। शाम के समय पुत्रदा एकादशी व्रत कथा सुनें और फलाहार करें। अगले दिन पारण करके व्रत को पूर्ण करें।


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