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Sankashti Ganesh Chaturthi Vrat 2019: करवा चौ​थ के दिन है संकष्टी गणेश चतुर्थी, पूजा से संतान को मिलेगा वि​शेष लाभ

Sankashti Ganesh Chaturthi Vrat 2019कार्तिक मास की संकष्टी गणेश चतुर्थी 17 अक्टूबर दिन गुरुवार को है। इस दिन करवा चौथ का व्रत भी है।

By kartikey.tiwariEdited By: Published: Wed, 16 Oct 2019 04:24 PM (IST)Updated: Thu, 17 Oct 2019 09:28 AM (IST)
Sankashti Ganesh Chaturthi Vrat 2019: करवा चौ​थ के दिन है संकष्टी गणेश चतुर्थी, पूजा से संतान को मिलेगा वि​शेष लाभ
Sankashti Ganesh Chaturthi Vrat 2019: करवा चौ​थ के दिन है संकष्टी गणेश चतुर्थी, पूजा से संतान को मिलेगा वि​शेष लाभ

Sankashti Ganesh Chaturthi Vrat 2019: कार्तिक मास की संकष्टी गणेश चतुर्थी 17 अक्टूबर दिन गुरुवार को है। इस दिन करवा चौथ का व्रत भी है। इस दिन ऐसा संयोग है कि संकष्टी गणेश चतुर्थी और करवा चौथ एक ही दिन पड़े हैं। करवा चौथ में भी गणेश जी की ​पूजा की जाती है और संकष्टी गणेश चतुर्थी गणपति को ही समर्पित है। ऐसे में इस दिन गणेश जी की पूजा का दोगुना लाभ प्राप्त होगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं, इसे सकट चौथ भी कहा जाता है। इस दिन भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा करने का विधान है।

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संकष्टी चतुर्थी का महत्व

संकष्टी चतुर्थी का व्रत महिलाएं करती हैं। वे विघ्नहर्ता श्री गणेश जी से अपनी संतान और परिवार के लिए खुशहाली और संकट की घड़ी में रक्षा करने की मनोकामना करती हैं। संतान की लंबी आयु की भी कामना करती हैं। पूजा से प्रसन्न होकर भगवान गजानन अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

चतुर्थी तिथि

प्रारंभ: 17 अक्टूबर को सुबह 06:48 बजे से।

समापन: 18 अक्टूबर को सुबह 07:29 बजे।

राहुकाल: दोपहर 01:32 बजे से 02:58 बजे तक।

चंद्र दर्शन का समय: शाम को 08:16 बजे।

संकष्टी चतुर्थी को चंद्रमा को दें अर्घ्य

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने वाले व्यक्ति को चंद्र दर्शन करना और उनको अर्घ्य देना जरूरी माना जाता है। ऐसा न करने से व्रत अधूरा रहता है।

संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि

चतुर्थी के दिन इस बार करवा चौथ का भी व्रत है। ऐसे में सुबह स्नानादि से निवृत होने के बाद पूजा स्थान पर व्रत का संकल्प लें। फिर पूरब या उत्तर दिशा की ओर मुख करके गणेश जी की पूजा करें। उनको पुष्प, रोली, जल, अक्षत, फल, मोदक, दुर्वा और पंचामृत चढ़ाएं। यदि हो सके तो गणपति को तिल का लड्डू अर्पित करें। ऐसा करने से भगवान गणेश जल्द प्रसन्न होंगे। इसके बाद संकष्टी चतुर्थी व्रत की कथा सुनें। अंत में गणेश जी की आरती करें।


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