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Sankashti Chaturthi 2020: आज है संकष्टी चतुर्थी, जानें-भगवान गणेश की पूजा का शुभ मुहूर्त एवं व्रत विधि

Sankashti Chaturthi 2020 सनातन धर्म में भगवान गणेश की सबसे पहले पूजा करने का विधान है। धार्मिक ग्रंथों में लिखा है कि विघ्नहर्ता के नाम मात्र स्मरण से विघ्न दूर हो जाते हैं।

By Umanath SinghEdited By: Published: Mon, 08 Jun 2020 06:00 AM (IST)Updated: Mon, 08 Jun 2020 06:00 AM (IST)
Sankashti Chaturthi 2020: आज है संकष्टी चतुर्थी, जानें-भगवान गणेश की पूजा का शुभ मुहूर्त एवं व्रत विधि
Sankashti Chaturthi 2020: आज है संकष्टी चतुर्थी, जानें-भगवान गणेश की पूजा का शुभ मुहूर्त एवं व्रत विधि

दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Sankashti Chaturthi 2020: आज संकष्टी चतुर्थी है। हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी, और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी मनाई जाती है। इस दिन विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश की पूजा-उपासना की जाती है। भगवान गणेश को 108 नामों से स्मरण किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति संकष्टी चतुर्थी के दिन सच्ची श्रद्धा और भक्ति से गणपति बप्पा की पूजा करता है। उसके सभी दुःख और क्लेश दूर हो जाते हैं। साथ ही व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं यथाशीघ्र पूर्ण होती है।

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संकष्टी चतुर्थी महत्व

सनातन धर्म में भगवान गणेश की सबसे पहले पूजा करने का विधान है। धार्मिक ग्रंथों में लिखा है कि विघ्नहर्ता के नाम मात्र स्मरण से सभी विघ्न दूर हो जाते हैं। स्वंय भगवान ब्रह्मा जी ने संकष्टी चतुर्थी व्रत की महत्ता को बताया है। ऐसे में इस व्रत का अति विशेष महत्व है।

संकष्टी चतुर्थी पूजा शुभ मुहूर्त और तिथि

आज के दिन शुभ मुहूर्त संध्याकाल में है। व्रती दिनभर पूजा उपासना कर शाम में गणेश जी की विशेष पूजा कर सकते हैं। आज चतुर्थी की तिथि शाम में 7 बजकर 56 मिनट से शुरू होकर 9 जून को शाम में 7 बजकर 38 मिनट पर समाप्त हो रही है।

संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि

इस दिन ब्रह्म बेला में उठें। इसके बाद नित्य कर्म से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान करें। अब सर्वप्रथम आमचन कर भगवान गणेश के निम्मित व्रत संकल्प लें और भगवान भास्कर को जल का अर्घ्य दें। इसके पश्चात, भगवान गणेश जी की षोडशोपचार पूजा फल, फूल, धूप-दीप, दूर्वा, चंदन, तंदुल आदि से करें। भगवान गणेश जी को पीला पुष्प और मोदक अति प्रिय है। अतः उन्हें पीले पुष्प और मोदक अवश्य भेंट करें। अंत में आरती और प्रदक्षिणा कर उनसे सुख, समृद्धि और शांति की कामना करें। दिन भर उपवास रखें। शाम में आरती-अर्चना के बाद फलाहार करें।


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