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Ratha Saptami 2020: आज ही 7 घोड़ों के रथ पर सवार हो प्रकट हुए थे सूर्य देव, जानें पूजा की विधि एवं कथा

Ratha Saptami 2020 भगवान सूर्य की उपासना का पर्व रथ सप्तमी आज है। आज के दिन ही सूर्य देव सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर प्रकट हुए थे।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Sat, 01 Feb 2020 10:01 AM (IST)Updated: Sat, 01 Feb 2020 10:02 AM (IST)
Ratha Saptami 2020: आज ही 7 घोड़ों के रथ पर सवार हो प्रकट हुए थे सूर्य देव, जानें पूजा की विधि एवं कथा
Ratha Saptami 2020: आज ही 7 घोड़ों के रथ पर सवार हो प्रकट हुए थे सूर्य देव, जानें पूजा की विधि एवं कथा

Ratha Saptami 2020: भगवान सूर्य की उपासना का पर्व रथ सप्तमी आज है। माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन होने के कारण इसे माघी सप्तमी या अचला सप्तमी भी कहते हैं। आज के दिन ही सूर्य देव सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर प्रकट हुए थे, इसलिए आज की तिथि को सूर्य देव के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। आज के दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने और विधि विधान से पूजा करने से धन-संपदा के साथ पुत्र रत्न की भी प्राप्ति होती है।

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रथ सप्तमी की पूजा विधि

रथ सप्तमी के दिन नदी में स्नान करने के बाद सूर्य देव को दीप दान करने की परंपरा है। ऐसा करने से मनोवांछित फल प्राप्त होता है। दीप दान में एक दीपक जलाकर उसे पत्ते के कटोरे में फूल आदि से सुशोभित कर जल में प्रवाहित करना होता है। आप नदी में स्नान नहीं कर सकते हैं, तो पानी में गंगा जल डालकर घर पर ही स्नान कर लें।

फिर कपूर, धूप, लाल पुष्प आदि से भगवान सूर्य की पूजा करें। उनको जल से अर्घ्य दें। अर्घ्य में फल, चावल, तिल, दूर्वा, चंदन आदि रखें। अर्घ्य देते समय ओम घृणि सूर्याय नम: या ओम सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें।

रथ सप्तमी को सूर्य देव की पूजा के बाद दिनभर फलाहार करें। आज के दिन सूर्य देव की पूजा करने से वर्ष भर का फल प्राप्त होता है। संतान सुख के साथ सौभाग्य में वृद्धि भी होती है।

Achala Saptami 2020: आज है अचला सप्तमी व्रत, सूर्य उपासना से होगी धन-संपदा और पुत्र की प्राप्ति

दान

आज के दिन अपने गुरु को वस्त्र दान करें। दान में मिल का उपयोग जरूर करें। आज के दिन गाय दान करने का भी विधान है।

रथ सप्तमी कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक स्त्री ने अपने जीवनकाल में कोई दान पुण्य नहीं किया। जब उसे जीवन के अंतिम चरण में इसका बोध हुआ तो वह वशिष्ठ मुनि के पास पहुंची। उसने यह बात उनको बताई। तो उन्होंने उसे अचला सप्तमी यानी रथ सप्तमी व्रत की महिमा बताई। उन्होंने उससे कहा कि अचला सप्तमी व्रत करने से, सूर्य को दीप दान करने से पुण्य लाभ होता है। उसने मुनि के बताए अनुसार, अचला सप्तमी का व्रत रखा और सूर्य देव की विधि विधान से पूजा की। उस व्रत के प्रभाव से मृत्यु के बाद उसे स्वर्ग लोक में स्थान प्राप्त हुआ।


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