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Raksha Bandhan 2020: इस बार रक्षाबंधन पर ऐसे करें राखी की पूजा, जानें क्या है विधि एवं महत्व

Raksha Bandhan 2020 भाई-बहनों का विशेष पर्व यानी रक्षाबंधन आने ही वाला है। इस दिन बहनें जब तक भाइयों के राखी नहीं बांधती हैं तब तक भोजन ग्रहण नहीं करती हैं।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Tue, 28 Jul 2020 07:30 AM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2020 07:08 AM (IST)
Raksha Bandhan 2020: इस बार रक्षाबंधन पर ऐसे करें राखी की पूजा, जानें क्या है विधि एवं महत्व
Raksha Bandhan 2020: इस बार रक्षाबंधन पर ऐसे करें राखी की पूजा, जानें क्या है विधि एवं महत्व

Raksha Bandhan 2020: भाई-बहनों का विशेष पर्व यानी रक्षाबंधन आने ही वाला है। इस दिन बहनें जब तक भाइयों के राखी नहीं बांधती हैं तब तक भोजन ग्रहण नहीं करती हैं। रक्षाबंधन के दिन बहन अपने भाइयों के लिए प्रार्थना करती हैं तो भाई बहनों को उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं। लेकिन हम में से बहुत कम लोग ऐसे होंगे जो रक्षाबंधन का सही महत्व जानते होंगे। तो चलिए ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी से जानते हैं कि इस पर्व का महत्व क्या है और कैसे रक्षाबंधन की पूजा की जाए।

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रक्षाबंधन का महत्व:

प्राचीन काल से ही रक्षा सूत्र बांधने की परम्परा चली आ रही है। इसके लिए एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है। कथा के अनुसार, एक बार जब देवताओं और असुरो में युद्ध छिड़ गया था तब देवताओं की स्थिति हारने वाली हो गई थी। हार के डर से देवगण इंद्र देव के पास पहुंचे। इंद्र देव ने देवताओं को डरा हुआ देख इन्द्राणी ने देवताओं के हाथ में रक्षा कवच के तौर पर रक्षासूत्र बांध दिया। इसके बाद में देवताओं ने असुरों पर विजय प्राप्त की और अपना खोया हुआ राजपाट वापस हासिल कर लिया। यह रक्षा विधान श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि पर ही शुरू किया गया था।

एक अन्य कथा के अनुसार, ऋषि मुनि भी अपने राजाओं को रक्षा सूत्र बांधते थे। रानी कर्णावती ने भी अपनी रक्षा हेतु बा दशाह हुमायु को राखी भेजी थी। माना गया है कि हुमायु को कर्णावती ने अपना भाई माना था। ऐसे में यह स्पष्ट है कि प्राचीन काल से ही रक्षा बंधन का प्रचलन चला आ रहा है।

रक्षाबंधन की पूजा विधि:

पवित्र पर्व के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत हो जाएं। फिर पूजा की थाल सजाएं जिसमें राखी के साथ रोली, चंदन, अक्षत, मिष्ठान और पुष्प रखें। इसमें घी का दीपक भी जलाएं। इस थाल को पूजा स्थान पर रख दें। सभी देवी देवातओं का स्मरण करें। धूप जलाएं और पूजा करें। फिर भगवान का आर्शीवाद लें। भाई की आरती कर उसकी कलाई में राखी बांधें।

शास्त्रीय विधान के अनुसार, रक्षा बंधन का पवित्र पर्व भद्रा रहित काल में ही मनाया जाना चाहिए। ऐसा कहा गया है- भद्रायां द्वे न कर्त्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी……। अतः हिन्दू शास्त्र के अनुसार, यह त्योहार 3 अगस्त 2020 को भद्रा रहित काल में ही मनाया जाएगा। लेकिन किसी कारण के चलते भद्रा काल में यह कार्य करना हो तो भद्रा मुख को छोड़कर भद्रा पुच्छ काल में रक्षाबंधन का त्योहार मानया जाना ही उचित है। 


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