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Shravan Putrada Ekadashi 2022: श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत आज , जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Putrada Ekadashi 2022 सावन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जानते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने से संतान का सुख प्राप्त होता है। इसके साथ ही संतान उन्नति की राह में चलती है।

By Shivani SinghEdited By: Published: Sun, 07 Aug 2022 11:00 AM (IST)Updated: Mon, 08 Aug 2022 07:17 AM (IST)
Shravan Putrada Ekadashi 2022: श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत आज , जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Putrada Ekadashi 2022: पुत्रदा एकादशी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि

 नई दिल्ली, Putrada Ekadashi 2022: सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा या पवित्रा एकादशी बताया गया है। इस बार की पुत्रदा एकादशी काफी महत्वपूर्ण है। क्योंकि इस दिन सावन का आखिरी सोमवार भी पड़ रहा है। ऐसे में धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान सुख की प्राप्ति के साथ उनकी सेहत के लिए किया जाता है।

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हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। पंचांग के अनुसार, साल में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं, जिसमें हर माह में 2 अकादशी पड़ती है पहली कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में। सावन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जानते हैं। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। सावन में एकादशी होने के कारण शिवजी की पूजा करना भी शुभ होगा। आइए जानते हैं पुत्रदा एकादशी, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त।

पुत्रदा एकादशी 2022 शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि प्रारंभ: 07 अगस्त 2022 सुबह 11 बजकर 50 मिनट से शुरू

एकादशी तिथि समाप्त: 08 अगस्त 2022 रात 09 बजे तक

व्रत पारण का समय: 09 अगस्त 2022, सुबह 06 बजकर 07 मिनट से सुबह 08 बजकर 42 मिनट तक

अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11 बजकर 47 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 40 मिनट

अमृत काल - सुबह 06 बजकर 31 मिनट से लेकर 07 बजकर 59 मिनट तक

पुत्रदा एकादशी पूजा विधि

  • सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि करके पीले रंग के कपड़े धारण कर लें।
  • लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्‍णु की प्रतिमा या तस्वीर स्‍थापित करके घी का दीपक जलाएं और व्रत करने का संकल्‍प लें।
  • इसके बाद फूल की मदद से जल अर्पित करके शुद्धि करें
  • आसन बिछाकर बैठ जाएं
  • अब भगवान विष्णु को पीले रंग के फूल और माला चढ़ाएं। इसके बाद पीले रंग का चंदन, अक्षत आदि लगा दें।
  • इसके साथ ही भोग और तुलसी दल चढ़ा दें।
  • अब घी का दीपक और धूप जलाकर विष्णु भगवान के मंत्र, चालीसा, स्तुति, स्तोत्र आदि का जाप कर लें।
  • अंत में विधिवत आरती कर लें और दिनभर व्रत रखें।

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Pic Credit- instagram/_jadevine15_

डिसक्लेमर

इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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