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Putrada Ekadashi Puja Vidhi: सावन पुत्रदा एकादशी व्रत, जानिये पूजा विधि और उपयोगी मंत्र

Putrada Ekadashi Puja Vidhi Aur Mantra इस व्रत को पुत्र प्राप्ति के लिए रखा जाता है। इस दिन पूरे विधि-विधान के साथ भगवान विष्णु की पूजा करने से वे प्रसन्न होते हैं। भगवान विष्णु पृथ्वी के पालनहार माने जाते हैं।

By Ritesh SirajEdited By: Published: Wed, 18 Aug 2021 03:37 PM (IST)Updated: Wed, 18 Aug 2021 03:37 PM (IST)
Putrada Ekadashi Puja Vidhi: सावन पुत्रदा एकादशी व्रत, जानिये पूजा विधि और उपयोगी मंत्र
Putrada Ekadashi Puja Vidhi: सावन पुत्रदा एकादशी व्रत, जानिये पूजा विधि और उपयोगी मंत्र

Putrada Ekadashi Puja Vidhi Aur Mantra : पंचांग के अनुसार आज पुत्रदा एकादशी की दिन है। हिंदी पंचांग के अनुसार प्रत्येक मास दोनों पक्ष के ग्यारवें तिथि को एकादशी कहते हैं। सावन मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस व्रत को पुत्र प्राप्ति के लिए रखा जाता है। इस दिन पूरे विधि-विधान के साथ भगवान विष्णु की पूजा करने से वे प्रसन्न होते हैं। भगवान विष्णु पृथ्वी के पालनहार माने जाते हैं। इसलिए हम अपने दुखों को दूर करने के लिए उनकी शरण में जाते हैं। आइये जानते हैं पुत्रदा एकादशी पूजन विधि और उपयोगी मंत्र: 

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पुत्रदा एकादशी पूजन विधि

पुत्रदा एकादशी के दिन प्रातःकाल सूर्योदय से पहले उठकर दैनिक कार्य से निवृत्त हो जाना चाहिए। 

नहाने के पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करना चाहिए। उसके बाद साफ-सुथरा कपड़ा पहनना चाहिए।

भगवान विष्‍णु का ध्यान करते हुए विष्णु की फोटो के सामने दीप जलाकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए।

संकल्प के बाद कलश की स्थापना करनी चाहिए। उसके बाद कलश को लाल वस्त्र से बांधकर उसकी पूजा करें।

भगवान विष्णु की प्रतिमा रखकर उसे जल से स्नान कराकर शुद्ध करना चाहिए।

धूप और दीप जलाकर भगवान विष्णु की विधिवत पूजा-अर्चना करनी चाहिए।

भगवान विष्णु को फल, फूल, नारियल, पान, सुपारी, लौंग, बेर, आंवला आदि अर्पित करना चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु जी की आरती करें।

पूजा और आरती के बाद सभी भक्तों को प्रसाद वितरित करें और जरूरतमंद की मदद करना चाहिए। 

इस दिन व्रत रखकर संध्या समय में कथा आदि सुनने के पश्चात फलाहार किया जाता है और एकादशी की रात में भगवान को कीर्तन करना चाहिए।  

एकादशी के अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन तथा दान-दक्षिणा अवश्य देनी चाहिए।

पुत्रदा एकादशी को करें इन मंत्र का जप 

1. ॐ क्लीं देवकी सुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते, देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहम शरणम् गता

2. ॐ क्लीं कृष्णाय नमः

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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