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Ravi Pradosh Vrat 2022: रवि प्रदोष व्रत पर खास संयोग, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र

Ravi Pradosh Vrat 2022 त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष काल में की गई भगवान शिव की पूजा कई गुना ज्यादा फलदायी होती है। आषाढ़ मास का पहला प्रदोष व्रत रविवार को है। जानिए रवि प्रदोष व्रत पूजा विधि और शुभ मुहूर्त।

By Shivani SinghEdited By: Published: Sat, 25 Jun 2022 06:00 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jun 2022 08:49 AM (IST)
Ravi Pradosh Vrat 2022: रवि प्रदोष व्रत पर खास संयोग, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र
Ravi Pradosh Vrat 2022: रवि प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र

नई दिल्ली, Ravi Pradosh Vrat 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह में दो बार त्रयोदशी तिथि आती है। पहली शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में। प्रत्येक माह की दोनों त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत के नाम से जाता है। ये दिन भगवान भोलेनाथ को समर्पित है। इस दिन भगवान शिव जी की कृपा पाने के लिए भक्त विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखते हैं। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से शिव जी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्त के हर कष्ट को हर लेते हैं। इस बार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष क त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जा रहा है। इस दिन रविवार पड़ने के कारण के कारण इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है। रवि प्रदोष व्रत करने से सुख और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। जानिए रवि प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

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रवि प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त

त्रयोदशी तिथि प्रारंभ : 26 जून, शनिवार को तड़के 1 बजकर 10 मिनट से शुरू

त्रयोदशी तिथि समाप्त: 27 जून, सोमवार तड़के 3 बजकर 26 मिनट तक

प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त: 26 जून, रविवार को शाम 07 बजकर 12 मिनट से लेकर रात 09 बजकर 19 मिनट तक

अभिजीत मुहूर्त: 26 जून, रविवार को सुबह 11 बजकर 56 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 52 मिनट तक।

रवि प्रदोष व्रत पूजा विधि

  • रवि प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान आदि करके साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें।
  • भगवान शिव का मनन करते हुए व्रत का संकल्प लें।
  • अब एक तांबे के लोटे में जल, सिंदूर और थोड़ा सा गुड़ डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  • प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के अलावा मां पार्वती, भगवान गणेश, भगवान कार्तिकेय और नंदी की भी पूजा की जाती है।
  • भगवान शिव को जलाभिषेक या फिर दूधाभिषेक करें।
  • अब फूल, माला के साथ बेलपत्र, धतूरा आदि चढ़ा दें।
  • अब भोग लगा दें।
  • भोग लगाने के बाद धूप-दीप जलाकर भगवान शिव के मंत्र, चालीसा और व्रत कथा का पाठ कर लें।
  • अंत में शिव आरती कर लें और भूलचूक के लिए माफी मांग लें।

प्रदोष व्रत पर करें इन शिव मंत्र का जाप

रवि प्रदोष व्रत पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इन मंत्रों का जाप करें।

पंचाक्षरी मंत्र

ॐ नम: शिवाय

महामृत्युंजय मंत्र

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

लघु महामृत्युंजय मंत्र

ॐ हौं जूं सः

शिव गायत्री मंत्र

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।

Pic Credit- instagram//krishna.realfriend/

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '


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