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Pradosh Vrat 2020: आज है प्रदोष व्रत, जानें-शिव जी की पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि तथा महत्व

Pradosh Vrat 2020 ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत के पुण्य प्रताप से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही सभी प्रकार के भौतिक दोष भी दूर हो जाते हैं।

By Umanath SinghEdited By: Published: Wed, 03 Jun 2020 06:00 AM (IST)Updated: Wed, 03 Jun 2020 06:00 AM (IST)
Pradosh Vrat 2020: आज है प्रदोष व्रत, जानें-शिव जी की पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि तथा महत्व
Pradosh Vrat 2020: आज है प्रदोष व्रत, जानें-शिव जी की पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि तथा महत्व

दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Pradosh Vrat 2020: आज प्रदोष व्रत है। यह व्रत हर महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को पड़ता है। आज के दिन व्रती भगवान शिव जी एवं माता पार्वती की पूजा उपासना करते हैं। खासकर शैव सम्प्रदाय के लोग प्रदोष व्रत को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत के पुण्य प्रताप से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही सभी प्रकार के भौतिक दोष भी दूर हो जाते हैं।

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प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त

शुभ मुहूर्त आज दिन भर है। व्रती किसी समय भगवान शिव जी एवं माता पार्वती की पूजा-आराधना कर सकते हैं। जबकि प्रदोष व्रत तिथि सुबह 9 बजकर 05 मिनट से शुरू होकर 4 जून को 6 बजकर 6 मिनट पर समाप्त होगी।

प्रदोष व्रत का महत्व

भगवान शिव जी के परम भक्त सूत जी ने प्रदोष व्रत को महत्ता को बताया है। उन्होंने कहा है कि प्रदोष दिन के अनुसार विशेष फलदायी होता है। अगर सोमवार को पड़े तो सोम प्रदोष व्रत कहलाता है। मंगलवार को पड़े तो भौम और शनिवार को पड़े तो शनि प्रदोष व्रत कहलाता है। इस बार बुधवार को है। अतः आज के दिन शिव जी की पूजा उपासना करने से सभी तरह के मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं।

प्रदोष व्रत पूजा विधि

आज के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद आमचन कर अपने आप को शुद्ध करें। अब सबसे पहले सूर्य देव का जलाभिषेक करें और व्रत संकल्प लें। इसके बाद भगवान शिव जी एवं माता पार्वती की पूजा घर अथवा मंदिर में जाकर फल, फूल, धूप-दीप, चंदन, अक्षत, धतूरा आदि से करें। अंत में आरती-अर्चना कर महादेव से सुख,शांति और समृद्धि की कामना करें। दिन भर उपवास रखें। शाम में आरती अर्चना के बाद फलाहार करें। अगले दिन नित्य दिनों की तरह पूजा संपन्न कर व्रत खोल पहले ब्राह्मणों और गरीबों को दान दें। इसके पश्चात ही भोजन ग्रहण करें।


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