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फाल्गुन मास की कालाष्टमी पर इस तरह करें भगवान काल भैरव की पूजा, अमोघ फल की होती है प्राप्ति

Kalashtami Puja Vidhi हर मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। आज के दिन भगवान काल भैरव के भक्त उनका व्रत करते हैं। शिवपुराण के अनुसार भगवान काल भैरव की उत्पत्ति इसी तिथि को भगवान शिव के अंश से ही हुई थी।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Fri, 05 Mar 2021 08:30 AM (IST)Updated: Fri, 05 Mar 2021 10:08 AM (IST)
फाल्गुन मास की कालाष्टमी पर इस तरह करें भगवान काल भैरव की पूजा, अमोघ फल की होती है प्राप्ति
फाल्गुन मास की कालाष्टमी पर इस तरह करें भगवान काल भैरव की पूजा, अमोघ फल की होती है प्राप्ति

Kalashtami Puja Vidhi: हर मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। आज के दिन भगवान काल भैरव के भक्त उनका व्रत करते हैं। शिवपुराण के अनुसार, भगवान काल भैरव की उत्पत्ति इसी तिथि को भगवान शिव के अंश से ही हुई थी। इसी के चलते हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। इसे काल भैरवाष्टमी या भैरवाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन पूरे विध-विधान के साथ पूजा करते हैं उन्हें शिव जी का आशीर्वाद जल्द ही प्राप्त हो जाता है। वैसे तो प्रमुखतया कालाष्टमी का व्रत मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है। क्योंकि इसी तिथि पर भगवान कालभैरव की उत्पत्ति हुई थी। लेकिन हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। आइए जानते हैं कैसे करते हैं कालाष्टमी का व्रत और पूजा।

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कालाष्टमी की पूजा विधि:

  • कालाष्टमी के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठ जाना चाहिए। फिर स्नानादि कर साफ कपड़े पहन लें।
  • इसके बाद लकड़ी के पाट पर कालभैरव की मूर्ति रखें। साथ ही भगवान शिव और माता पार्वती की तस्वीर या मूर्ति भी स्थापित करें।
  • फिर चारों तरफ गंगाजल छिड़क दें। इसके बाद भगवान को फूलों की माला या फूल अर्पित करें।
  • फिर कालभैरव को नारियल, इमरती, पान, मदिरा, गेरुआ आदि चीजें भी चढ़ाएं। ये इनकी प्रिय चीजें हैं।
  • इसके बाद चौमुखी दीपक जलाएं। साथ ही धूप-दीप भी करें। उन्हें कुमकुम या हल्दी का तिलक लगाएं।
  • फिर सभी की आरती करें। साथ ही शिव चालिसा और भैरव चालिसा का पाठ भी करें।
  • इसके बाद बटुक भैरव पंजर कवच का पाठ करें। भैरव मंत्रों का भी 108 बार जाप करें।
  • इसके बाद कालभैरव की उपासना करें।
  • जब व्रत पूरा हो जाए तो काले कुत्ते को कच्चा दूध या मीठी रोटी खिलाएं। फिर कुत्ते की भी पूजा करें।
  • रात के समय काल भैरव की सरसों के तेल, उड़द, दीपक, काले तिल आदि से पूजा करें। फिर रात जागरण करें।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'  


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