Paush Sankashti Chaturthi 2022: पौष मास में वर्ष 2022 का अंतिम संकष्टी चतुर्थी आज, जानें महत्व व पूजा-विधि
Sankashti Chaturthi 2022 हिन्दू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम देवता के रूप में पूजा जाता है। प्रत्येक मास में संकष्टी चतुर्थी के दिन इनकी विशेष पूजा की जाती है और उपवास रखा जाता है। आइए जानते हैं पौष मास में कब है संकष्टी चतुर्थी व्रत।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Akhuratha Sankashti Chaturthi 2022: सनातन धर्म में भगवान गणेश की पूजा प्रथम देवता के रूप में होती है। यही कारण है कि किसी भी मांगलिक कार्य को प्रारम्भ करने से गणेश जी की वंदना की जाती है। वहीं आज का भगवान गणेश की वंदना के लिए विशेष है, ऐसा इसलिए क्योंकि आज वर्ष 2022 का अंतिम संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाएगा। बता दें कि प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से भक्तों को विशेष लाभ मिलता है और भक्तों के सभी दूर हो जाते हैं।
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी मुहूर्त (Akhuratha Sankashti Chaturthi 2022 Muhurat)
ज्योतिष पंचांग के अनुसार पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरम्भ 11 दिसंबर 2022 को शाम 4 बजकर 14 मिनट से होगा। साथ ही इसका समापन 12 दिसंबर 2022 को शाम 6 बजकर 48 मिनट पर होगा। चतुर्थी तिथि के दिन चंद्र देव की पूजा का भी विधान है। इसलिए यह व्रत 11 दिसंबर 2022 के दिन रखा जाएगा। मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्र देव को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन चन्द्रोदय 08 बजकर 01 मिनट पर होगा।
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि (Akhuratha Sankashti Chaturthi 2022 Puja Vidhi)
संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान करें और साफ़ कपड़े धारण करें। इसके बाद पूजा-घर की साफ-सफाई करें और गंगाजल को सिक्त करें। फिर भगवान गणेश की विधिवत पूजा करें और गणपति जी को फल और लड्डू का भोग लगाएं। फिर व्रत का संकल्प लें और संध्या काल में चंद्र देव को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करें। लेकिन इससे पहले गणेश चालीसा का पाठ अवश्य करें।
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का महत्व (Akhuratha Sankashti Chaturthi 2022 Importance)
शास्त्रों में बताया गया है कि पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन भगवान गणेश को समर्पित व्रत रखने से और पूजा-पाठ करने से सभी प्रकार के दुःख दूर हो जाते हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि और धन-ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति को सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
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