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Papmochani Ekadashi 2021 Katha: आज पापमोचनी एकादशी को पढ़ें यह व्रत कथा, मिलेगा पूर्ण फल

Papmochani Ekadashi 2021 Katha चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष पापमोचनी एकादशी आज 07 अप्रैल दिन बुधवार को है। इस दिन पूजा के समय पापमोचनी एकादशी की व्रत कथा का श्रवण करना चाहिए।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Tue, 06 Apr 2021 10:00 AM (IST)Updated: Wed, 07 Apr 2021 06:04 AM (IST)
Papmochani Ekadashi 2021 Katha: आज पापमोचनी एकादशी को पढ़ें यह व्रत कथा, मिलेगा पूर्ण फल
Papmochani Ekadashi 2021 Katha: आज पापमोचनी एकादशी को पढ़ें यह व्रत कथा, मिलेगा पूर्ण फल

Papmochani Ekadashi 2021 Katha: हिन्दी पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष पापमोचनी एकादशी आज 07 अप्रैल दिन बुधवार को है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा की जाती है। उनकी कृपा से व्यक्ति के सभी पाप मिट जाते हैं, चाहें उससे अनजाने में ही क्यों न हुए हों। पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन पूजा के समय पापमोचनी एकादशी की व्रत कथा का पाठ या श्रवण करना चाहिए। इससे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।

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पापमोचनी एकादशी व्रत कथा

एक समय की बात है। चैत्ररथ सुन्दर वन में च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी तपस्या कर रहे थे। एक रोज अप्सरा मंजुघोषा वहां से गुजर रही थी, उस दौरान उसने मेधावी को देखा और उन पर मोहित हो गई। उसने मेधावी को अपनी सुंदरता से आकर्षित करने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन मेधावी पर इसका कोई असर नहीं हुआ।

इसी बीच कामदेव वहां से गुजर रहे थे, वे मंजुघोषा की भावनाओं को समझ गए और उन्होंने उसकी मदद की। इसके फलस्वरुप मेधावी मंजुघोषा के प्रति आकर्षित हो गए। फिर दोनों सबकुछ भूलकर काम क्रिया में मग्न हो गए। इस कारण से मेधावी भगवान शिव की तपस्या से विमुख हो गए। काफी साल बीतने के बाद मेधावी को अपनी गलती समझ में आई। वे शिव भक्ति से विमुख करने के लिए मंजुघोषा को पिशाचिनी होने का श्राप दे दिया। इससे वह दुखी हो गई, उसने मेधावी से क्षमा याचना की। तब उन्होंने उसे पापमोचनी एकादशी का व्रत करने को कहा।

चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मंजुघोषा ने पापमोचनी एकादशी का व्रत रखा। व्रत के सभी नियमों का पालन किया और भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा की। इस व्रत के प्रभाव से उसके सभी पाप नष्ट हो गए। वह पिशाच योनी से मुक्त हो गई। इसके बाद वह स्वर्ग लोक चली गई। वहीं मेधावी ने भी अपनी ओज और तेज की प्राप्ति के लिए पापमोचनी एकादशी का व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से मेधावी भी पाप मुक्त हो गए और अपना तेज दोबारा प्राप्त कर लिया।


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