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Papankusha Ekadashi 2020: जानें कब है पापांकुशा एकादशी, पढ़ें व्रत का महत्व

Papankusha Ekadashi 2020 पापांकुशा एकादशी आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आती है। इस बार यह 27 अक्टूबर को है। मान्यता है कि अगर एकादशी व्रत किया जाए तो व्यक्ति अपने अशुभ संस्कारों को भी नष्ट कर सकता है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Sat, 03 Oct 2020 07:30 AM (IST)Updated: Sat, 03 Oct 2020 09:13 AM (IST)
Papankusha Ekadashi 2020: जानें कब है पापांकुशा एकादशी, पढ़ें व्रत का महत्व
जानें कब है पापांकुशा एकादशी, पढ़ें व्रत का महत्व

Papankusha Ekadashi 2020: पापांकुशा एकादशी आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आती है। इस बार यह 27 अक्टूबर को है। मान्यता है कि अगर एकादशी व्रत किया जाए तो व्यक्ति अपने अशुभ संस्कारों को भी नष्ट कर सकता है। इस एकादशी का महत्त्व खुद भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बतालया था। इस एकादशी पर भगवान पद्मनाभ की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। इस एकादशी को पापांकुशा क्यों कहते हैं इसके लिए भी एक कथा प्रचलित है जिसका सार यह है कि पापरूपी हाथी को इस व्रत के पुण्यरूपी अंकुश से वेधने के कारण ही इस एकादशी का नाम पापांकुशा एकादशी पड़ा है।

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पापांकुशा एकादशी के दिन मौन रहकर भगवद स्मरण किया जाता है। साथ ही भोजन का भी विधान है। अगर इस दिन भगवान की सच्चे मन से पूजा-अर्चना की जाए तो इससे व्यक्ति का मन शुद्ध हो जाता है। मान्यता है कि इस एकादशी के दिन अघर भगवान विष्णु और भगवान शिव की आराधना की जाए तो व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही बैकुंठधाम की प्राप्ति होती है।

पापांकुशा एकादशी का महत्‍व:

यह व्रत बेहद महत्वपूर्ण होता है। यह एकादशी व्रती व्यक्ति को तो लाभ पहुंचाती ही है साथ ही दूसरों को भी लाभ प्राप्त कराती है। इस एकादशी के दिन विष्णु जी के पद्मनाभ स्वरुप की पूजा की जाती है। इससे व्यक्ति का मन शुद्ध होता है। यह व्रत करने से व्यक्ति अपने पापों का प्रायश्चित कर सकता है। मान्यता है कि पापांकुशा एकादशी का व्रत करने से माता, पिता और मित्र की पीढ़ियों को भी मुक्ति प्राप्त होती है।

अगर इस दिन उपवास किया जाए तो यह बेहद उत्तम होता है। इस दिन शाम को सात्विक भोजन किया जाता है। इस दिन चावल का सेवन न करें। रात के दौरान पूजा कर व्रत खोलने का विशेष महत्व होता है। कोशिश करें कि व्रत वाले दिन किसी भी व्यक्ति पर क्रोध न करें। 


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