Padmini Ekadashi Aarti And Mantra: पूजा करते समय गाएं आरती और करें मंत्रों का उच्चारण
Padmini Ekadashi Aarti And Mantra अधिकमास या मलमास चल रहा है। इसी मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पद्मिनी एकादशी का व्रत किया जाता है। इस बार यह व्रत 27 सितंबर को है। इस दिन रविवार है।
Padmini Ekadashi Aarti And Mantra: अधिकमास या मलमास चल रहा है। इसी मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पद्मिनी एकादशी का व्रत किया जाता है। इस बार यह व्रत 27 सितंबर को है। इस दिन रविवार है। पद्मिनी एकादशी के दिन श्री हरि विष्णु जी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति पद्मिनी एकादशी का व्रत करता है उसे पूरे साल के एकादशी व्रतों के बराबर का फल प्राप्त होता है। साथ ही विष्णु लोक की प्राप्ति भी होती है। इस एकादशी का महत्व भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था। उन्होंने कहा था कि अगर में पद्मिनी एकादशी पर व्यक्ति को अनेकों पुण्यों का फल प्राप्त होता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति कीर्ति प्राप्त करता है। साथ ही मृत्यु के बाद बैकुंठ को जाता है।
पद्मिनी एकादशी पर पूजा करते समय अगर आप विष्णु भगवान की आरती और मंत्रों का जाप करेंगे तो फल दोगुना हो जाता है। सच्चे मन से श्री हरि की आरती गाएं और सही उच्चारण के साथ मंत्रों का जाप करें। आइए पढ़ते हैं विष्णु भगवान की आरती और मंत्र।
विष्णु भगवान की आरती:
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥
विष्णु भगवान के मंत्र:
1. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
2. श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।
हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
3. ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
4. ॐ विष्णवे नम:
5. ॐ हूं विष्णवे नम:
6. ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
7. लक्ष्मी विनायक मंत्र-
दन्ताभये चक्र दरो दधानं,
कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया
लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।
8. धन-वैभव एवं संपन्नता का मंत्र-
ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि