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Nirjala Ekadashi 2023: निर्जला एकादशी के दिन इस विधि से करें शालिग्राम भगवान की पूजा, प्रसन्न होंगे 'श्रीहरि'

Nirjala Ekadashi 2023 हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन निर्जला एकादशी व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस विशेष दिन पर भगवान शालिग्राम की उपासना करने से जीवन में आ रही कई प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती हैं।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraPublished: Mon, 29 May 2023 05:20 PM (IST)Updated: Wed, 31 May 2023 10:40 AM (IST)
Nirjala Ekadashi 2023: निर्जला एकादशी के दिन इस विधि से करें शालिग्राम भगवान की पूजा, प्रसन्न होंगे 'श्रीहरि'
Nirjala Ekadashi 2023: निर्जला एकादशी पर इस विधि से करें भगवान शालिग्राम की पूजा।

नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क | Nirjala Ekadashi 2023 Shaligram Bhagwan Puja: हिंदू पंचांग के अनुसार आज निर्जला एकादशी है। सनातन धर्म में निर्जला एकादशी व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी पूजा हेतु रखा जाता है। इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की उपासना करने से जीवन में सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता है कि निर्जला एकादशी व्रत रखने से साधक को सभी 24 एकादशी व्रतों का फल प्राप्त होता है। शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि निर्जला एकादशी के दिन शालिग्राम भगवान की उपासना करने से साधक को सुख, समृद्धि एवं भाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए जानते हैं, किस विधि से करनी चाहिए शालिग्राम भगवान की पूजा?

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इस विधि से करें निर्जला एकादशी के दिन शालिग्राम भगवान की पूजा

निर्जला एकादशी के दिन स्नान-ध्यान के बाद। साफ वस्त्र धारण करें, हो सके तो इस दिन पीले रंग का वस्त्र पहनें। इसके बाद पूजा-स्थल को अच्छी तरह साफ करें और एक दीपक प्रज्वलित कर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद पूजा स्थल पर शालिग्राम भगवान को स्थापित करें और भगवान शालिग्राम को पंचामृत से स्नान कराएं। स्नान के बाद इसके बाद उन्हें चंदन, मिश्री इत्यादि अर्पित करें। पूजा के दौरान शालिग्राम भगवान को 108 तुलसी के पत्र जरूर करें। फिर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और आरती के बाद पूजा संपन्न करें।

निर्जला एकादशी पर शालिग्राम भगवान की पूजा का महत्व

शास्त्रों में बताया गया है कि घर में शालिग्राम भगवान की स्थापना करने से समस्त दुखों का नाश होता है और साधक को जीवन में सुख, समृद्धि, सौभाग्य और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। बता दें कि शालिग्राम श्याम रंग के शिलाओं को कहा गया है, जो विशेष रूप से गंडकी नदी के तट पर पाए जाते हैं। इनका आकार शिवलिंग जैसा ही होता है।

सनातन धर्म में शालिग्राम को भगवान विष्णु का स्वरूप मानकर पूजा जाता है। वैष्णव संप्रदाय के लोगों के घर में शालिग्राम भगवान आवश्य स्थापित होते हैं। शास्त्रों में यह भी बताया गया शालिग्राम भगवान की उपासना करने से घर एवं परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ता है और नकारात्मक पहुंचा नष्ट हो जाती है। साथ ही भगवान विष्णु की कृपा साधक पर सदैव बनी रहती है।

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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