Nirjala Ekadashi 2020: जानें, क्यों मनाई जाती है निर्जला एकादशी और क्या है इसकी कथा
Nirjala Ekadashi 2020धार्मिक ग्रंथों में लिखा है-जब सूर्य देव का प्रकोप ज्येष्ठ माह में अपने चरम पर रहता है उस समय धरा पर जल और जीवन की महत्ता का ज्ञान होता है।
दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Nirjala Ekadashi 2020: आज निर्जला एकादशी है। इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा-उपासना की जाती है। निर्जला एकादशी ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इस दिन गायत्री जयंती भी मनाई जाती है। धार्मिक ग्रंथों में लिखा है कि इस दिन वेदों की जननी माता गायत्री की उत्पत्ति हुई है। अतः इस दिन का अति विशेष महत्व है। आइए, निर्जला एकादशी की कथा जानते हैं है-
निर्जला एकादशी की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार की बात है। जब वेदों के रचयिता वेदव्यास पांडवों के गृह कुशलक्षेम के लिए पधारे। तब महाबली भीम ने उनका खूब आदर-सत्कार किया। हालांकि, वेदव्यास ने अपने तपोबल से भीम की व्यथा जान ली। उस समय वेद व्यास ने उनसे पूछा- हे महाबली तुम्हारे मन में कैसे विचार उमड़ रहे हैं? क्यों चिंतित दिख रहे हो?
तब महाबली भीम ने वेदव्यास से अपने मन की व्यथा सुनाई। उन्होंने कहा- हे पितामह आप तो सर्वज्ञानी हैं, आप तो जानते हैं कि घर में सभी लोग एकादशी का व्रत करते हैं, लेकिन मैं कर नहीं पाता हूं, क्योंकि मैं भूखा नहीं रह सकता हूं। मुझे कोई ऐसा व्रत विधि बताएं, जिससे करने से मुझे सभी एकादशियों के समतुल्य फल की प्राप्ति हो! उस समय वेदव्यास जी ने भीम से कहा- हे महाबली तुम्हें चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है।
ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र
तुम ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी का व्रत ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप करते हुए करो। इस व्रत को करने से तुम्हें अन्य एकादशियों के समतुल्य पुण्य प्रताप होगा। वेदव्यास जी के वचनानुसार, महाबली भीम ने निर्जला एकादशी का व्रत किया, लेकिन द्वादशी के दिन प्रातः काल में ही भूख और प्यास की वजह से भीम मूर्छित हो गया। उस समय माता कुंती ने भीम की मूर्छा पानी पिलाकर दूर किया। अतः इस एकादशी को भीमसेन एकादशी भी कहा जाता है।