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Navratri 2019: क्यों की जाती है कन्या पूजन, जानें क्या है इसका महत्व?

Navratri 2019 Kanya Pujan कन्या पूजन सप्तमी से ही शुरू हो जाता है। सप्तमी अष्टमी और नवमी के दिन इन कन्याओं को नौ देवी का रूम मानकर पूजा जाता है।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Thu, 03 Oct 2019 01:49 PM (IST)Updated: Sat, 05 Oct 2019 11:41 AM (IST)
Navratri 2019: क्यों की जाती है कन्या पूजन, जानें क्या है इसका महत्व?
Navratri 2019: क्यों की जाती है कन्या पूजन, जानें क्या है इसका महत्व?

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Navratri 2019, Kanya Pujan: नवरात्र‍ि के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों को पूजा जाता है। साथ ही कन्या पूजन करके मां के उन नौ रूपों की एक साथ पूजा भी की जाती है। इस दौरान उनसे अपने घर-परिवार पर कृपा बनाए रखने और अगले साल आने का अनुरोध भी किया जाता है। देवी के दर्शन और 9 दिन तक व्रत और हवन करने के बाद कन्या पूजन का बड़ा महत्व है। 

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कन्या पूजन सप्तमी से ही शुरू हो जाता है। सप्तमी, अष्टमी और नवमी के दिन इन कन्याओं को नौ देवी का रूम मानकर पूजा जाता है। कन्याओं के पैरों को धोया जाता है और उन्हें आदर-सत्कार के साथ भोजन कराया जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त कन्या पूजन करते हैं माता उन्हें सुख समृद्धि का वरदान देती हैं।

कन्या पूजन का महत्व

सभी शुभ कार्यों का फल प्राप्त करने के लिए कन्या पूजन किया जाता है। कुमारी पूजन से सम्मान, लक्ष्मी, विद्या और तेज़ प्राप्त होता है। इससे विघ्न, भय और शत्रुओं का नाश भी होता है। होम, जप और दान से देवी इतनी प्रसन्न नहीं होतीं जितनी कन्या पूजन से होती हैं।

क्या होता है कन्या पूजन में

नौ कन्याओं को नौ देवियों के रूप में पूजन के बाद ही भक्त व्रत पूरा करते हैं। भक्त अपने सामर्थ्य के मुताबिक भोग लगाकर दक्षिणा देते हैं। इससे माता प्रसन्न होती हैं। कन्या पूजन में दो से 11 साल की 9 बच्च‍ियों की पूजा की जाती है। दरअसल, दो वर्ष की कुमारी, तीन वर्ष की त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कल्याणी, पांच वर्ष की रोहिणी, छः वर्ष की बालिका, सात वर्ष की चंडिका, आठ वर्ष की शाम्भवी, नौ वर्ष की दुर्गा और दस वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती हैं।

क्यों होता है कन्या पूजन

देवी पुराण के अनुसार इंद्र ने जब ब्रह्मा जी से भगवती को प्रसन्न करने की विधि पूछी तो उन्होंने सर्वोत्तम विधि के रूप में कुमारी पूजन ही बताया। नौ कुमारी कन्याओं और एक कुमार को विधिवत घर में बुलाकर और उनके पांव धोकर रोली-कुमकुम लगाकर पूजा-अर्चना की जाती है। इसके बाद उन्हें वस्त्र आभूषण, फल पकवान और अन्न आदि दिया जाता है।


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