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Navratri 2019 Maa Mahagauri Puja Vidhi and Mantra: आज दुर्गाष्टमी को करें महागौरी की पूजा, ये है मंत्र और महत्व

Navratri 2019 Maa Mahagauri Puja Vidhi and Mantra शारदीय नवरात्रि का आज रविवार को आठवां दिन है। इसे दुर्गाष्टमी या महाष्टमी भी कहते हैं। इस दिन महागौरी की आराधना की जाती है।

By kartikey.tiwariEdited By: Published: Fri, 04 Oct 2019 01:08 PM (IST)Updated: Sun, 06 Oct 2019 07:05 AM (IST)
Navratri 2019 Maa Mahagauri Puja Vidhi and Mantra: आज दुर्गाष्टमी को करें महागौरी की पूजा, ये है मंत्र और महत्व
Navratri 2019 Maa Mahagauri Puja Vidhi and Mantra: आज दुर्गाष्टमी को करें महागौरी की पूजा, ये है मंत्र और महत्व

Navratri 2019 Maa Mahagauri Puja Vidhi and Mantra: शारदीय नवरात्रि का आज रविवार को आठवां दिन है। इसे दुर्गाष्टमी या महाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की विधिपूर्वक आराधना की जाती है। महाष्टमी के दिन मां महागौरी की आराधना करने से सुख और समृद्धि के साथ सौभाग्य की प्राप्ति होती है। भक्तों के सभी दुख दूर हो जाते हैं, वह पापमुक्त हो जाते हैं। कई जगहों पर दुर्गाष्टमी के दिन कन्या पूजन भी किया जाता है। महागौरी को रातरानी का फूल प्रिय है। पूजा में उनको रातरानी का पुष्प अर्पित करें। पूजा के दौरान दुर्गा चालीसा और दुर्गा आरती करें, इसके पश्चात मां महागौरी के समक्ष अपनी मनोकामनाएं प्रकट कर दें। पूजा से प्रसन्न होकर माता महागौरी आपकी मनोकामनाओं की पूर्ति करेंगी।

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कैसे देवी का नाम पड़ा महागौरी

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता शैलपुत्री 16 वर्ष की अवस्था में अत्यंत्र सुंदर और गौर वर्ण की थीं। अत्यंत गौर वर्ण के कारण ही माता का नाम महागौरी पड़ा।

वहीं एक कथा के अनुसार, एक बार माता पार्वती भगवान शिव से नाराज होकर कैलाश से कहीं दूर चली गईं और कठोर तपस्या करने लगीं। काफी वर्षों तक वह वापस नहीं आईं, तो भगवान शिव उनकी खोज में निकले। जब वह माता पार्वती से मिले तो वे उनका स्वरूप देखकर दंग रह गए।

उस समय माता पार्वती अत्यंत गौर वर्ण की हो गई थीं। भगवान शिव ने उनको गौर वर्ण का वरदान दिया, जिससे वह माता महागौरी कहलाने लगीं।

मां महागौरी का स्वरूप

माता महागौरी भी माता शैलपुत्री की तरह ही बैल पर सवार रहती हैं, इसलिए इनको वृषारूढ़ा भी कहा जाता है। इनकी चार भुजाएं हैं। वह अपने एक दाएं हाथ में त्रिशूल धारण करती हैं और दूसरे दाएं हाथ को अभय मुद्रा में रखती हैं।

वहीं, एक बाएं हाथ में वह डमरू धारण करती हैं तो दूसरे बाएं हाथ को वरद मुद्रा में रखती हैं। वह केवल श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, इसलिए उनको श्वेतांबरधरा भी कहा जाता है।

मंत्र

ओम देवी महागौर्यै नमः॥

प्रार्थना

श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।

महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥

स्तुति

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

पूजा विधि एवं कन्या पूजन

नवरात्रि के प्रत्येक दिन की तरह ही आज भी महाष्टमी के दिन माता महागौरी की विधि विधान से पूजा अर्चना करें। माता को उनका प्रिय पुष्प रातरानी अर्पित करें। फिर नारियल का भोग लगाएं। नारियल का भोग लगाने से महगौरी प्रसन्न होती हैं और संतान से जुड़ी समस्याओं को दूर करती हैं।

आरती के बाद कुमारी कन्याओं का पूजन करें। चरण स्पर्श कर दान दक्षिणा देकर उनको सहर्ष विदा करें। माना जाता है कि कन्याएं माता का साक्षात् स्वरूप होती हैं।


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