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Navratri 2019 Maa Durga Shakti Peeth Katha: कैसे बनें मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठ, पढ़ें भगवान शिव और सती की कथा

Navratri 2019 Maa Durga Shakti Peeth नवरात्रि में मां दुर्गा के शक्तिपीठों पर हम मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए माथा टेकते हैं। आइए जानते हैं कि कैसे हुई इन शक्तिपीठों की उत्पत्ति।

By kartikey.tiwariEdited By: Published: Wed, 02 Oct 2019 12:41 PM (IST)Updated: Wed, 02 Oct 2019 12:41 PM (IST)
Navratri 2019 Maa Durga Shakti Peeth Katha: कैसे बनें मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठ, पढ़ें भगवान शिव और सती की कथा
Navratri 2019 Maa Durga Shakti Peeth Katha: कैसे बनें मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठ, पढ़ें भगवान शिव और सती की कथा

Navratri 2019 Maa Durga Shakti Peeth Katha: नवरात्रि के समय में मां दुर्गा के शक्तिपीठों पर भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए माथा टेकने जाते हैं। भारत, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश में माता के कुल 51 शक्तिपीठ हैं, जहां पर मां दुर्गा विभिन्न नामों से स्थापित हैं और उनकी विधि विधान से पूजा की जाती है। इन शक्तिपीठों के बनने के पीछे देवों के देव महादेव भगवान शिव और माता सती से जुड़ी कथा है।

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पौराणिक कथा के अनुसार, मां दुर्गा ने राजा प्रजापति दक्ष के यहां पुत्री के रूप में अवतार लिया था। उनका नाम सती था। उन्होंने भगवान शिव से विवाह किया। एक बार राजा प्रजापति दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया। उसमें सभी देवताओं को निमंत्रित किया गया सिवाय शिव परिवार के। दक्ष ने जानबूझकर अपने दामाद भगवान शिव और पुत्री सती का निमंत्रण नहीं भेजा।

नारद मुनि से जब सती को इस बात की पता चली तो वे नाराज हो गईं। वो उस यज्ञ में शामिल होने के लिए पिता के घर जाने लगीं। भगवान शिव ने बिना निमंत्रण के उनको वहां जाने से मना कर दिया, लेकिन वे नहीं मानीं और चली गईं।

अपने मायके पहुंचकर सती ने अपने पिता से उनके परिवार को यज्ञ में आने का निमंत्रण न देने का कारण पूछा। इस पर दक्ष नाराज हो गए और भगवान शिव के बारे में अपमानजनक बातें कहने लगे। पति के अपमान से आहत सती ने उस यज्ञ स्थल पर ही अपने प्राणों की आहुति दे दी।

कैलाश पर ध्यान लगाए भगवान शिव को जब सती के आत्मदाह की सूचना मिली तो वे क्रोधित हो उठे। उनका तीसरा नेत्र खुला और प्रलय मच गया। भगवान शिव तांडव नृत्य करने लगे और उनकी जटा से वीरभद्र की उत्पत्ति हुई। उसने भगवान शिव के आदेश पर प्रजापति दक्ष का सिर काट डाला। तब तक भगवान शिव भी घोर वेदना और दुख के साथ वहां पहुंच गए और सती का निष्प्राण शरीर अपने हाथों में उठा लिया।

माता सती का प्राणहीन शरीर लेकर भगवान शिव तांडव नृत्य करते हुए पृथ्वी पर भ्रमण करने लगे। हर तरफ प्रलय था। ऐसी स्थिति में भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के निष्प्राण शरीर के कई टुकड़े कर दिए। माता सती के शरीर का अंग और आभूषण पृथ्वी पर जहां भी गिरे, वहां पर माता के शक्तिपीठ स्थापित हो गए। इस तरह से मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठ अस्तित्व में हैं।

माता सती ने अगले जन्म में राजा हिमवान के यहां जन्म लिया। उनका नाम था पार्वती। माता पार्वती ने भगवान शिव की प्राप्ति के लिए कठिन तप किया। फिर पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ।


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