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Nag Panchami 2019: सावन सोमवार को नाग पंचमी का अद्भुत योग, महाकाल की पूजा के साथ कालसर्प दोष से मुक्ति

Nag Panchami 2019 भगवान शिव के प्रिय मास सावन का आज तीसरा सोमवार है इस दिन आज नाग पंचमी का पर्व भी मनाया जा रहा है। सावन सोमवार के दिन नाग पंचमी के होने से अद्भुत योग बना है।

By kartikey.tiwariEdited By: Published: Mon, 05 Aug 2019 11:27 AM (IST)Updated: Mon, 05 Aug 2019 11:27 AM (IST)
Nag Panchami 2019: सावन सोमवार को नाग पंचमी का अद्भुत योग, महाकाल की पूजा के साथ कालसर्प दोष से मुक्ति
Nag Panchami 2019: सावन सोमवार को नाग पंचमी का अद्भुत योग, महाकाल की पूजा के साथ कालसर्प दोष से मुक्ति

Nag Panchami 2019: भगवान शिव के प्रिय मास सावन का आज तीसरा सोमवार है, इस दिन आज नाग पंचमी का पर्व भी मनाया जा रहा है। सावन सोमवार के दिन नाग पंचमी के होने से अद्भुत योग बना है। नागराज वासुकी भगवान शिव के गले की शोभा बढ़ाते हैं, अत: इस दिन भगवान शिव की पूजा से नाग देव भी प्रसन्न होते हैं, इस दिन नागों की पूजा से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।

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ऐसे में यदि आप आज के दिन भगवान शिव की विधि विधान से पूजा करते हैं, तो भगवान शिव का आशीर्वाद तो प्राप्त ही होगा, आपको नागों का भी आशीर्वाद मिलेगा। आपकी कुंडली में कालसर्प दोष से शांति मिलेगी।

भगवान शिव की पूजा

भगवान शिव की मूर्ति, तस्वीर या शिवलिंग को गंगा जल से धोकर साफ कर लें। फिर तांबे के लोटे या अन्य पात्र में जल भरकर उसमें गंगा जल मिला लें। फिर भोलेनाथ का जलाभिषेक करें और उनको सफेद फूल, अक्षत्, भांग, धतूरा, सफेद चंदन, गाय का दूध, धूप आदि अर्पित करें। फिर ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। शिव चालीसा का पाठ कर अंत में आरती करें।

सोमवार व्रत का लाभ

सावन सोमवार का व्रत रहने संतान सुख, धन, निरोगी काया और मनोवांछित जीवन साथी प्राप्त होता है। इसके अलावा दाम्पत्य जीवन के दोष और अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है।

सोमवार व्रत की तिथियां

05 अगस्त: सावन का तीसरा सोमवार।

12 अगस्त: सावन का चौथा सोमवार।

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नांग पंचमी पूजा विधि

नागों को अपने जटाजूट तथा गले में धारण करने के कारण ही भगवान शिव को काल का देवता कहा गया है। इस दिन गृह-द्वार के दोनों तरफ गाय के गोबर से सर्पाकृति बनाकर अथवा सर्प का चित्र लगाकर उन्हें घी, दूध, जल अर्पित करना चाहिए। इसके पश्चात दही, दूर्वा, धूप, दीप एवं नीलकंठी, बेलपत्र और मदार-धतूरा के पुष्प से विधिवत पूजन करें। फिर नागदेव को धान का लावा, गेहूँ और दूध का भोग लगाना चाहिए।

पूजन-मन्त्र

अगस्तश्च् पुलसतश्च् सर्वनागमेव च मम कुले रक्षाय नाग देवाय नमो नम:।।

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