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Mahashivratri Puja 2019: आज शुभ मुहूर्त में विधि विधान से पूजन करते समय इन बातों का रखें ध्यान

Mahashivratri Puja 2019 की पूजा में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना जरूरी है। इन खास उपायों से पूजा करने पर शिव जी अत्यंत प्रसन्न होते है आैर आर्शिवाद प्रदान करते हैं।

By Molly SethEdited By: Published: Sun, 03 Mar 2019 02:59 PM (IST)Updated: Mon, 04 Mar 2019 04:59 PM (IST)
Mahashivratri Puja 2019: आज शुभ मुहूर्त में विधि विधान से पूजन करते समय इन बातों का रखें ध्यान
Mahashivratri Puja 2019: आज शुभ मुहूर्त में विधि विधान से पूजन करते समय इन बातों का रखें ध्यान

पूजन के शुभ मुहूर्त
भगवान भोले नाथ से Mahashivratri Puja 2019 करके शुभ समृद्घि का आर्शिवाद प्राप्त करने का सुनहरा अवसर है। आज 4 मार्च सोमवार को महा शिवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है, ये अत्यंत शुभ संयोग है। इस वर्ष पूजन के चार सर्वाधिक शुभ मुहूर्त हैं। पहला सांय 6.01 से 9.09 तक, दूसरा 9.10 से 12.18 तक, तीसरा 12.19 से भोर काल 3.28 तक आैर चौथा 3.29 से प्रात 6.34 तक, इस दौरान पूजा करने से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होंगे। महाशिवरात्रि व्रत फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। इस व्रत को अर्धरात्रिव्यापिनी चतुर्दशी तिथि में करना चाहिए। इस वर्ष 4 मार्च को दिन में 4 बजकर 11 मिनट से चतुर्दशी लग रही है, जो मंगलवार 5 मार्च को सायं 6 बजकर 18 मिनट तक रहेगी। अर्धरात्रिव्यापिनी ग्राह्य होने से 4 मार्च को ही महाशिवरात्रि मनाई जाएगी।

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रात्रि पर बरसेगी भोले की कृपा

पंडित दीपक पांडे ने बताया कि फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की दूरदर्शी को शिव सती के मिलन के रात्रि शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। महाशिवरात्रि की पूजा बिना रात्रि जागरण के पूर्ण नहीं मानी जाती है। शिवरात्रि पर रात्रि के चार प्रहर में से किसी एक पहर में भोले भंडारी को मनाया सकता है। महाशिवरात्रि पर शिव आराधना और अभिषेक उत्तम फलदाई होता है। शिव साधना और ज्ञान के भी गुरू हैं उनकी कृपा से ही जीवन धन्य हो जाता है। शिवरात्रि पर अभिषेक करने का बहुत महत्व है भक्त जन, धन लक्ष्मी की स्थिरता, दुख, बीमारी से निजात, संतान सुख और मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए अभिषेक करते हैं।

इन बातों का रखें ध्यान

शिवरात्रि का व्रत करने वाले रात्रि में सोना नहीं चाहिए। ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। बीमार व्यक्ति हवन करें आैर लक्ष्मी प्राप्ति के लिए बेलपत्र अवश्य चढ़ायें। चार व पांच पत्ती की बेल पत्री अधिक लाभकारी होती है, विशेष कामना के लिए इन पर ओम नमः शिवाय लिख कर अर्पित करें। रोग दूर करने, शत्रु का विनाश करने, आैर संतान प्राप्ति के लिए गिलोय की बेल की लकड़ी से हवन करें, इससे यश कीर्ति में भी वृद्धि होती है।  जो लोग शिवरात्रि का व्रत करने में सर्मथ ना हों वे  परेशान ना हों क्योंकि भोले बाबा तो सहज प्रसन्न होने वाले हैं। इसलिए शिवरात्रि पर मात्र गंगाजल अथवा शुद्ध जल से उनकी पूजा आैर अभिषेक करने से ही उनकी कृपा प्राप्त हो जाती है। शिवलिंग पर जल, अक्षत आैर बेल पत्र चढ़ाते समय बम बम की जय कार जरूर करें तभी पूजा पूर्ण मानी जाती है। भविष्य पुराण के अनुसार कनेर, धतूरा, अकोड़ा, शमी पत्र, कपूर, शंखपुष्पी, अपामार्ग, कमल, चमेली, नागकेसर, नीलकमल आैर लाल कमल आदि सामग्री आैर सुगंधित पुष्प ही शिवरात्रि पर शिवलिंग पर चढ़ायें। ये सब अर्पित करते समय ध्यान रखें कि सारी सामग्री लिंग के ऊपर रखी जाये। व्रत का पारण दूसरे दिन यानि 5 मार्च प्रातः काल स्नान आदि से शुद्घ हो कर बेल पत्रों से हवन करके ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद करें। एकादशी के समान इस व्रत में भी नमक और अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए आैर फलाहारी व्रत रखना चाहिए।


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