08 दिसंबर को है मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती, जानें इस सप्ताह के व्रत-त्योहार
इस सप्ताह में नंदा नवमी मोक्षदा एकादशी व्रत (सबका) गीता जयंती सोम प्रदोष व्रत समेत कई महत्वपूर्ण उपवास एवं त्योहार आने वाले हैं। आइए जानते हैं इस सप्ताह के प्रमुख व्रत...
हिन्दू कैलेंडर के मार्गशीर्ष मास का शुक्ल पक्ष चल रहा है। आज मार्गशीर्ष मास की षष्ठी तिथि है। अंग्रेजी कैलेंडर का पहला सप्ताह भी रविवार से प्रारंभ हो गया है। इस सप्ताह में नंदा नवमी, मोक्षदा एकादशी व्रत (सबका), गीता जयंती, सोम प्रदोष व्रत समेत कई महत्वपूर्ण उपवास एवं त्योहार आने वाले हैं। आइए जानते हैं इस सप्ताह के प्रमुख व्रत एवं त्योहारों के बारे में।
02 दिसंबर, दिन-सोमवार: स्कंद षष्ठी।
स्कंद षष्ठी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती के ज्येष्ठ पुत्र तथा देवताओं के सेनापति भगवान कार्तिकेय की पूजा अर्चना की जाती है। भगवान कार्तिकेय की विधि विधान से पूजा करने पर कुंडली का मंगल दोष दूर होता है। उनकी पूजा से मंगल फलदायक होने लगता है। भगवान कार्तिकेय को चंपा का फूल पसंद है, इसलिए स्कंद षष्ठी को चंपा षष्ठी भी कहा जाता है। कार्तिकेय का एक नाम स्कंद कुमार भी है, इसलिए इसे स्कंद षष्ठी कहा जाता है।
05 दिसंबर, दिन-गुरुवार: कल्पादि नवमी, महानंदा नवमी।
मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को महानंदा नवमी है। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन व्रत रखने से दरिद्रता दूर होती है, घर में सुख-समृद्धि आती है। इस दिन असहाय लोगों को दान करने से बैकुण्ठ की प्राप्ति होती है। उन पर माता लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की भी कृपा बनी रहती है।
08 दिसंबर, दिन-रविवार: मोक्षदा एकादशी व्रत (सबका)। गीता जयंती।
मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसे मानस रोग निवरिणी एकादशी, मोक्षदायिनी एकादशी, मोहनाशक एकादशी, शुद्धा एकादशी आदि नामों से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा आराधना की जाती है। इस दिन व्रत रखने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, मानसिक रोग और कष्ट मिट जाते हैं।
गीता जयंती: मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र में मोह और माया में बंधे अर्जुन को जीवन का सार समझाने के लिए गीता का उपदेश दिया था।
09 दिसंबर, दिन-सोमवार: अखंड द्वादशी। सोम प्रदोष व्रत। अनंग त्रयोदशी व्रत।
सोम प्रदोष व्रत: मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को सोम प्रदोष व्रत है। इस दिन शाम के समय भगवान शिव की विधि विधान से पूजा करें। ऊं नम: शिवाय: मंत्र का जाप और शिव चालीसा का पाठ फलदायी होता है।
अनंग त्रयोदशी व्रत: इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से प्रेम विवाह किए लोगों को लाभ मिलता है। धन, ऐश्वर्या और सेहत का लाभ भी होता है। अनंग त्रयोदशी के दिन कामदेव और रति की भी पूजा की जाती है।