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May Month Masik Shivratri 2020: आज है मासिक शिवरात्रि, जानें-इसकी पूजा विधि और व्रत कथा

Masik Shivratri 2020धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव जी का प्रादुर्भाव लिंग रूप में हुआ है। उस समय ब्रह्मा जी और श्रीहरि विष्णु जी ने सबसे पहले इनकी पूजा की थी।

By Umanath SinghEdited By: Published: Wed, 20 May 2020 06:00 AM (IST)Updated: Wed, 20 May 2020 06:00 AM (IST)
May Month Masik Shivratri 2020: आज है मासिक शिवरात्रि, जानें-इसकी पूजा विधि और व्रत कथा
May Month Masik Shivratri 2020: आज है मासिक शिवरात्रि, जानें-इसकी पूजा विधि और व्रत कथा

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क।  Masik Shivratri 2020: हिंदी पंचांग अनुसार, हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। इस साल ज्येष्ठ महीने की मासिक शिवरात्रि बुधवार, 20 मई यानी आज है। इस दिन भगवान शिव जी और माता पार्वती की पूजा-उपासना की जाती है। धार्मिक ग्रंथों में लिखा है कि मासिक शिवरात्रि के दिन शिव जी एवं माता पार्वती की श्रद्धापूर्वक पूजा करने से व्रती के सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। इस व्रत का पुण्य फल महाशिवरात्रि के समतुल्य होता है। 

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मासिक शिवरात्रि का शुभ मुहर्त

इस अवसर पर शुभ मुहर्त दिन में 11 बजकर 58 मिनट से लेकर दोपहर के 12 बजकर 38 मिनट तक है। इस समय में पूजा करना श्रेष्ठकर होता है। 

मासिक शिवरात्रि की कथा

धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव जी का प्रादुर्भाव लिंग रूप में हुआ है। उस समय जगत सृजनकर्ता ब्रह्मा जी और पालनकर्ता श्रीहरि विष्णु जी ने सबसे पहले इनकी पूजा की थी। इसके बाद कालांतर में तीनों देवी मां पार्वती, मां लक्ष्मी और मां सरस्वती ने इनकी पूजा की। तभी से शिवलिंग की पूजा करने का विधान है। इस दिन लिंग का प्रादुर्भाव हुआ है। अतः इस दिन को शिव जी का जन्मदिन भी कहा जाता है। फाल्गुन महीने के महाशिवरात्रि के दिन शिवजी का विवाह माता पार्वती से हुआ है।

पूजा विधि

इस दिन मध्य रात्रि में पूजा करना श्रेयस्कर होता है। ऐसा कहा जाता है कि निशिता काल में शिव जी की पूजा करने से वे अति शीघ्र प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा, आप ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान से निवृत हो जाएं। इसके बाद आमचन कर अपने आप को पवित्र करें। फिर शिव जी की दूध, दही, पूजा फल, फूल, धूप-दीप, दूर्वा, धतूरा आदि से करें। दिन भर उपवास करें। आप दिन में एक फल और एक बार शर्बत आदि ग्रहण कर सकते हैं। शाम में आरती-अर्चना के बाद फलाहार करें। रात्रि में कीर्तन-भजन करें। अगले दिन नित्य दिनों की तरह पूजा-पाठ सम्पन्न कर व्रत खोलें।


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