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Mauni Amavasya 2020: मौनी अमावस्या पर क्यों करते हैं गंगा स्नान, जानें क्या है पौराणिक महत्व

Mauni Amavasya 2020 इस वर्ष मौनी अमावस्या 24 जनवरी को है। इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Thu, 23 Jan 2020 12:39 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jan 2020 08:36 AM (IST)
Mauni Amavasya 2020: मौनी अमावस्या पर क्यों करते हैं गंगा स्नान, जानें क्या है पौराणिक महत्व
Mauni Amavasya 2020: मौनी अमावस्या पर क्यों करते हैं गंगा स्नान, जानें क्या है पौराणिक महत्व

Mauni Amavasya 2020: इस वर्ष 2020 में मौनी अमावस्या 24 जनवरी दिन शुक्रवार को है। माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या मौनी अमावस्या के नाम से प्रसिद्ध है, इसे माघी अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन प्रयागराज में संगम, हरिद्वार, उज्जैन, नासिक समेत अन्य गंगा तटों पर अत्यधिक संख्या में श्रद्धालु पावन अमृतमयी गंगा में डुबकी लगाते हैं। गंगा स्नान के बाद विशेष दान किया जाता है, जिसमें तिल, तिल के लड्डू, तिल का तेल, आंवला, कम्बल, सर्दी के वस्त्र आदि शामिल होते हैं।

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गंगा स्नान का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज में संगम में गंगा स्नान से तन और मन की शुद्धि तो होती ही है, दान करने से धन की वृद्धि होती है। ऐसी मान्यता है कि मौनी अमावस्या को गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम पर देवताओं का वास होता है, वे प्राणियों को समस्त पापों से मुक्ति प्रदान करते हैं।

कहा जाता है कि मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान से तीन तरह के पापों से मुक्ति मिलती है। गंगा स्नान से मन और शरीर निर्मल तो होता ही है, इसके अलावा पाप कर्म के दुष्प्रभाव और ग्रहों के दोष भी दूर होते हैं।

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धार्मिक मत है कि मौनी अमावस्या के दिन संगम पर देवताओं और ​पितरों का संगम भी होता है। इस दिन सभी देवी-देवता संगम में स्नान करते हैं, वहीं पितृगण भी यहां आकर स्नान करते हैं। मौनी अमावस्या के दिन पितरों को खुश करने के लिए पिंडदान और श्राद्ध कर्म भी किए जाते हैं।

संगम में स्नान की पौराणिक कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सागर मंथन के समय जब भगवान धनवंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए तब अमृत के लिए देवताओं और असुरों में होड़ मच गई। अमृत पान पहले करने के लिए देवताओं और असुरों में खींच-तान शुरू हो गई। इसके फलस्वरूप अृमत कलश से कुछ बूंदें छलककर प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में गिर गईं।

तभी से ये माना जाने लगा कि इन चार स्थानों पर विशेष दिन नदियों में स्नान करने से अमृत स्नान का पुण्य लाभ प्राप्त होता है।


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