Mauni Amavasya 2019: आज है ये पुण्य पर्व पीपल को अर्ध्य देते हुए इस मुहूर्त पर करें पूजन, ये है विधि
आज 4 फरवरी मौनी अमावस्या 2019 को एक अदभुत संयोग बन रहा है जिसकी जानकारी दे रहे हैं पंडित दीपक पांडे, साथ ही जानें इस दिन का पूजन समय आैर पूजा विधि।
बन रहा है अदभुत संयोग
कुंभ पर सूर्य आैर चंद्र का संयोग आैर मौनी अमावस्या पर माघ मास आैर अमावस्या का मेल एक स्वाभावित बात है। इसके बावजूद माघ के महीने की इस अमावस्या का अत्याधिक महत्व माना जाता है। इस वर्ष तो इस दिन का महातम्य एक दो नहीं बल्कि छह गुना बढ़ गया है। क्योंकि इस दिन कुंभ, सूर्य, चंद्र, माघ माह, मौनी अमावस्या के साथ सोमवार आैर श्रवण नक्षत्र का भी योग हो रहा है, इसी के चलते इस दिन की महत्ता आैर बढ़ गर्इ है। मौनी अमावस्या माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनार्इ जाती है। स्कंद पुराण के अनुसार मुनि शब्द से मौनी शब्द की उत्पत्ति हुर्इ है। इस दिन के बारे में कहा जाता है प्रथम पुरूष मनु का जन्मदिन भी होता है। इस दिन मौन रखने से आत्मबल मजबूत होता है।
पूजन का समय आैर विधि
4 फरवरी को सोमवार के दिन सूर्योदय से लेकर रात को 2 बज कर 44 मिनट तक इस व्रत की पूजा का समय रहेगा। इस दिन पीपल में आर्घ्य देकर परिक्रमा करें और दीप दान दें। इस दिन जिनके लिए व्रत करना संभव नहीं हो वह मीठा भोजन करें। पुराणों के अनुसार अमावस्या के दिन स्नान-दान करने की परंपरा है। वैसे तो इस दिन गंगा-स्नान का विशिष्ट महत्व माना गया है, परंतु जो लोग गंगा स्नान करने नहीं जा पाते, वे किसी भी नदी या सरोवर तट आदि में स्नान कर सकते हैं तथा शिव-पार्वती और तुलसीजी का पूजन कर अमावस्या का लाभ उठा सकते हैं। इस दिन मौन व्रत को धारण करने से पुण्य प्राप्ति होती है। ऐसा माना गया है कि पीपल के मूल में भगवान विष्णु, तने में शिवजी तथा अग्रभाग में ब्रह्माजी का निवास होता है। अत: इस दिन पीपल के पूजन से सौभाग्य की वृद्धि होती है। अमावस्या के दिन की यह भी मान्यता है कि इस दिन पितरों को जल देने से उन्हें तृप्ति मिलती है। महाभारत काल से ही अमावस्या, विशेषकर सोमवती अमावस्या पर तीर्थस्थलों पर पिंडदान करने का विशेष महत्व है। मोनी अमावस्या के दिन 108 बार तुलसी परिक्रमा करें। सूर्य को जल दें। जिन लोगों की जन्म कुंडली में चंद्रमा कमजोर है, वह गाय को दही और चावल खिलाएं। पर्यावरण की दष्टि से भी सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने का विधान माना गया है। मुनि से उत्पत्ति के चलते मान्यता है कि इस दिन मौन धारण करने से मुनि पद की प्राप्ति होती है।